देश में कृषि बिलों को लेकर किसानों का आंदोलन थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कृषि बिलों को लेकर एक बार फिर से केंद्र सरकार पर हमला बोला है और सरकार की तुलना अंग्रेजी शासन से कर दी है.

राकेश टिकैत ने कहा- किसान आंदोलन देश की आजादी की दूसरी लड़ाई है. जिस तरह से देश की आजादी की लड़ाई पहली लड़ाई थी, ठीक उसी तरह से देश की दूसरी आजादी की लड़ाई देश का किसान लड़ रहा है.

राकेश टिकैत ने अपने आंदोलन की नई रणनीति का ऐलान करते हुए कहा कि अब वो किसानों के साथ अपने आंदोलन को नई शक्ल देंगे.

मीडिया इस आंदोलन को लेकर जिस तरह का चरित्र दिखा रहा है, उसे देखते हुए वो जल्द ही अपनी फसलों को लेकर अलग अलग मीडिया समूहों के दफ्तरों में जाएंगे और वहीं जाकर अपनी फसल बेचेंगे.

राकेश टिकैत ने अपने परिवार के लोगों के बारे में भी इस दौरान बात की और कहा कि मेरे परिवार वालों का मुझे पूरा सहयोग और समर्थन है.

उन्होंने मुझे कह रखा है कि जब तक सरकार इन कृषि बिलों को रद्द नहीं करती, तब तक वापस मत लौटना.

जब राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं बनाती. तब तक हम पीछे नहीं हटने वाले.

राकेश टिकैत के इस बयान पर एक मीडियाकर्मी ने तंज कसा और कहा कि टिकैत साहब, कहीं ऐसा न हो कि इस कवायद में आपके सिर पर जो थोड़े बहुत काले बाल बचे हुए हैं, कहीं वो भी सफेद न हो जाए.

टिकैत ने इसका जवाब भी बेहद शानदार तरीके से दिया और कहा कि जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां ! इसके अलावा वो और कहां जा सकते हैं ! टिकैत ने एमएसपी पर कानून की मांग को पूरी तरह से जायज बताया.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की चर्चा करते हुए टिकैत ने कहा कि हम पूरे देश में किसानों को इन कानूनों के खिलाफ एकजुट कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल भी हम गए थें. वहां के किसानों को भी हमने अपनी बातों से अवगत कराया.

हमने बंगाल के लोगों से अपील और आह्वान किया है कि वो किसी भी हाल में भारतीय जनता पार्टी को वोट न दें. यदि कोई भी भाजपा का नेता आपसे वोट मांगने आपके बीच आता है तो सबसे पहले उससे एमएसपी पर कानून बनाने की बात करें.

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