दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान संगठनों द्वारा शुरू की गई किसान संसद में मोदी सरकार के साथ-साथ विपक्षी नेताओं को भी घेरा जायेगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि संसद में चलाए जा रहे मानसून सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा अगर किसानों के मुद्दे को नहीं उठाया जायेगा।

तो विपक्षी नेताओं के गाँव में जाकर उनका विरोध किया जायेगा। किसान नेताओं का कहना है कि ये ऐसी पहली संसद है। जो किसानों द्वारा शुरू की गई है।

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि मोदी सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है इसलिए किसानों का आंदोलन अगले 35 महीनों तक और चलने वाला है।

सरकार किसान संगठनों के साथ अपनी शर्तों पर बात करना चाहती है। लेकिन हमारी मांगे वही हैं कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए

इस किसान संसद को चलाने का मकसद यह है कि सरकार को दिखाया जा सके। किस तरह से किसान अपने 600 साथियों को कब आने के बाद ही आंदोलनरत हैं।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेता मीनाक्षी लेखी ने अपने एक बयान में आंदोलनरत किसानों को गुंडा मवाली बताया था राकेश टिकैत ने उनके बयान पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया है।

उन्होंने लिखा है कि “किसान संसद से किसानों ने गूंगी-बहरी सरकार को जगाने का काम किया है। किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई न रहे।

इसके अलावा आज किसान नेता राकेश टिकैत दिल्ली जयपुर हाईवे स्थित खेड़ा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने हरियाणा की खट्टर सरकार पर जमकर हमला बोला।

उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर अभी किसानों की संख्या कम है। ये हमारी रणनीति है। लेकिन अगर सरकार हमारा शक्ति प्रदर्शन देखना चाहती है। तो सिर्फ एक बार हां कहे हम दोबारा दिल्ली 5 लाख ट्रैक्टर लेकर पहुंच जाएंगे।

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