भारत के किसानों द्वारा जिस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला गया है। उसकी चर्चा देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रही है। विदेशों में बैठे पंजाबी लोगों और सिखों ने भी किसानों को समर्थन दिया है।

विदेशों में बैठे पंजाबी लोगों ने भी मोदी सरकार को किसान विरोधी करार दिया है। उन्होंने नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए घातक बताया है।

अब भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर अब विदेशी नेताओं की भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। कनाडा और ब्रिटेन के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बड़ा बयान जारी किया है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के विषय पर बयान जारी कर कहा है कि हर देश के लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार दिया गया है और सरकार को उन्हें इसे रोकना नहीं चाहिए।

ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत में चल रहे इतने बड़े स्तर पर किसी आंदोलन को लेकर विदेशी नेताओं की नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हो।

लेकिन किसान आंदोलन को लेकर मिल रही प्रतिक्रिया को भारत सरकार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है और इन्हे ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बता रही है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने विदेशी नेताओं की टिप्पणियों पर कहा है कि भारत में किसानों से संबंधित कुछ ऐसी टिप्पणियां सामने आई है। जो भ्रामक सूचनाओं पर आधारित हैं।

गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को भारत सरकार जबरदस्ती किसानों पर थोपने की कोशिश कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सरकार के कई मंत्री यह कह चुके हैं कि नए कृषि कानून किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं। जबकि विपक्षी दलों और किसान संगठनों द्वारा इन कृषि कानूनों को किसानों के लिए जानलेवा बताया गया है।

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