इस साल दुनियाभर में फैले कोरोनावायरस ने लाखों लोगों की जान ली है। इसी बीच भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों के साथ-साथ आत्महत्या के मामलों में भी इजाफा हुआ है।

कोरोना के चलते मोदी सरकार द्वारा बिना सोचे समझे लगाए गए लॉकडाउन ने एक ही दिन में पूरे देश को मुसीबत में डाल दिया। लोगों के छोटे बड़े बेरोजगार ठप हो गए।

प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापिस लौटने के लिए मजबूर हुए। वहीँ लाखों की तादाद में वाइट कॉलर जॉब्स करने वाले स्किल्ड वर्कर्स बेरोज़गार हो गए।

आपको बता दें कि देश में चल रहे कोरोना काल के बीच लोगों में मानसिक तनाव काफी बढ़ चुका है। जिसके चलते बड़े स्तर पर आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं।

इस मामले में लाइव हिंदुस्तान के पत्रकार निशांत कौशिक ने ट्विटर के जरिये जानकारी सांझा की है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि नोएडा जिले में 24 घंटे में पांच लोगों ने की आत्महत्या। बरौला में 30 साल के उमाशंकर ने नौकरी छूटने पर की आत्महत्या। निठारी में दोस्त के घर आये युवक ने, विद्युत नगर में मानसिक तनाव के चलते युवती प्रियंका ने, कासना में कर्ज से परेशान सूरजपाल ने की आत्महत्या।

सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फ़ाउंडेशन ने हाल ही में ‘कोविड19 ब्लूज़’ नामक ऑनलाइन सर्वे किया है। जिसमें ये सामने आया है कि कोरोना के बाद से तक़रीबन 65 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या करने के बारे में सोचा और कोशिश की।

दरअसल भारत में कोरोना के चलते सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन के चलते सामने आई कई आर्थिक विषमताओं का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। इन आर्थिक समस्यायों ने कई लोगों को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है।

आपको बता दें कि आत्महत्या के मामलों में देखा गया है कि ज्यादातर लोग नौकरी छूट जाने और कर्ज की वजह से परेशान होकर मरे हैं।

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