जो पूरे चुनाव प्रचार के दौरान यह कहते थक नहीं रहे हैं कि हम राम को लाए हैं इसलिए हमें वोट दो. अब उन लोगों से यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र वापस नहीं आ पा रहे हैं.
ऐसे में पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने एक रोती बिलखती हुई मां का एक वीडियो ट्वीट किया है और कहा है कि “राम को ला सको, इतनी तुम्हारी हैसियत नहीं है. हो सके तो इस मां के बच्चे को सुरक्षित ले आओ.”
हालांकि यह कहना कि हम राम को लाए हैं… बेहद शर्मनाक है. कहने वालों को यह तक समझ में नहीं आ रहा है कि वह कह क्या रहे हैं ?
बहुत लोग इस गाने से नाराज़ होकर बोल रहे हैं मोदी, योगी और अमित शाह राम को कैसे ला सकते हैं ?
दरअसल इतनी संवेदनहीनता पहले कभी किसी दूसरी सरकार में देखने को नहीं मिली. ऐसी घटनाएं पहले भी हुई है.
ऐसे माहौल पहले भी बनें हैं लेकिन सरकार अपने नागरिकों की चिंता छोड़कर राज्यों के चुनाव में व्यस्त हो, ऐसी चीजें देखने को पहली बार मिली है.
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने जो वीडियो ट्वीट किया है, वो बिहार के एक छात्र अंकित की मां का है. अंकित कटिहार का रहने वाला है. उच्च शिक्षा के लिए अंकित यूक्रेन गया हुआ है. वहां पर वह फंस गया है.
राम को ला सको इतनी तुम्हारी हैसियत नहीं,
हो सके तो इस माँ के बच्चे को सुरक्षित ले आओ।pic.twitter.com/y5Cr8npWLm
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) February 25, 2022
एक मां अपने बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए सरकार के आगे बिलख रही है, गिड़गिड़ा रही है. उनक हाथ में अंकित की तस्वीर भी है.
अंकित की मां बिलखते बिलखते हुए कह रही हैं कि मेरा बेटा मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गया हुआ है. वहां पर माहौल बिगड़ गया है. लड़ाई छिड़ गया है.
मोदी सरकार मेरे बेटे को वहां से वापस ले आने में मदद करें. वहां से आने का किराया बढ़ा दिया गया है.
हम लोग इतना किराया बहुत ज्यादा हो पाने के कारण दे पाने में सक्षम नहीं है. सरकार कोई व्यवस्था करके मेरे बेटे को वापस ले आए.
यूक्रेन मामले में सरकार का जो रवैया है, वो तो सबके सामने है ही लेकिन इस मामले में सबसे ज्यादा घटियापन पर आईटी सेल उतर आया है.
आईटी सेल सरकार का बचाव करते हुए सीधे तौर पर कह रहा है कि जब आने जाने का किराया नहीं था तो पढ़ने क्यों गए?
फिर दूसरा तर्क दिया जा रहा है कि जो यूक्रेन में जाकर मेडिकल की पढ़ाई कर सकता है, वो 60 हजार का टिकट क्यों नहीं खरीद सकता !
जो सरकार अपने बचाव के लिए इस तरह के ट्रोल्स का सहारा लेती हो, उससे आम आदमी की भलाई की उम्मीद कोई कैसे कर सकता है !