इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीजेपी प्रत्याशी राजेश्वर सिंह की पत्नी IG लक्ष्मी सिंह के ट्रांसफर को लेकर एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दी।

खंडपीठ ने जनहित याचिका को छद्म मुकदमा करार दिया। उनके मुताबिक दायर याचिका में महत्वपूर्ण विवरण का खुलासा नहीं किया गया था।

क्यों दायर की गई थी याचिका?

दरअसल लखनऊ जिले की सरोजिनी नगर सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदर हैं राजेश्वर सिंह। ये कुछ दिन पहले तक पूर्व संयुक्त निदेशक ईडी थे।

लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद भाजपा में शामिल हो गएं और सरोजिनी नगर से टिकट भी पा गए। पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), लखनऊ रेंज लक्ष्मी सिंह राजेश्वर सिंह की पत्नी हैं।

याचिका दायर करने वाले पत्रकार सौरभ कुमार शुक्ला का मानना है कि IG लक्ष्मी सिंह चुनाव और परिणामों को प्रभावित करेंगी क्योंकि वह पुलिस महानिरीक्षक, लखनऊ रेंज के रूप में कार्यरत हैं, जबकि उनके पति 170-सरोजिनी नगर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता के वकील ने जनवरी 1998 में भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने निर्देश दिया था कि यदि किसी उम्मीदवार का जीवनसाथी निर्वाचन क्षेत्र में कार्यरत है, तो वह / उसका ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

”कोलिजियम का कमाल”

हालांकि अदालत पर इन दलीलों का कोई असर नहीं पड़ा और जनहित याचिका खारिज कर दी गई। इस मामले पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है,

”आप समझ रहे हैं? बंदा बीजेपी के टिकट पर जहां से चुनाव लड़ रहा है, वहीं उनकी पत्नी इंस्पेक्टर जनरल पुलिस यानी IG हैं। चुनाव का बंदोबस्त पुलिस करेगी।

लेकिन केंचुआ यानी केंद्रीय चुनाव आयोग और हाई कोर्ट को इसमें कोई समस्या नज़र नहीं आती। ट्रांसफ़र नहीं होगा। ये है कोलिजियम का कमाल।”

बता दें कि 20 फरवरी को समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय पहुंचकर IG लक्ष्मी सिंह को हटाने की मांग कर चुका है।

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