देश में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर यूपी सरकार ने प्रदेश के हर घर में तिरंगा फहराने की घोषणा की है। यूपी सरकार की मानें तो इसके लिए एक झंडा गीत जयघोष भी तैयार किया गया है।
अनुमान है कि राज्य में कुल 3.18 करोड़ तिरंगे और देश में कुल मिला के 20 करोड़ ‘तिरंगे’ फहराये जायेंगे।
दरअसल, कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी की अध्यक्षता में ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम के आयोजन के लिए बैठक बुलाई गई थी।
उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आजादी के अमृत महोत्सव के विजन को देश में उत्साह और उत्साह के साथ पूरा किया जा रहा है और यूपी में 11 से 17 अगस्त 2022 तक ‘स्वतंत्रता सप्ताह’ का आयोजन किया जाएगा।
रविवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सभी राज्यों की बैठक में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक झंडा गीत ‘जयघोष’ तैयार किया गया है, जिसका मकसद युवा पीढ़ी को देशभक्ति के लिए प्रेरित करना और उन्हें देश की सुरक्षा और समृद्धि से जोड़ना है।
योगी ने आगे अपनी बात में कहा कि ये हम सब की जिम्मेदारी है कि भावी पीढ़ी को हम देशभक्ति से जोड़ें और देश को मजबूत करें।
मगर जहां एक तरफ सरकार ज़ोर शोर से जश्न मानाने की तयारी में है वहीँ दूसरी तरफ यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या देश और मोदी सरकार के आज़ादी के अमृत महोत्सव का मतलब केवल झंडा फहराने तक सीमित है?
इस मुद्दे पर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट किया और कहा “यूपी में 3.18 करोड़ और देश में 20 करोड़ ‘तिरंगे’ फहराये जायेंगे….और नौकरियां कितनी, भगवन? बस, ऐसे ही हिल्ले से लगाए रखो, युवा को। कोरोना में ताली, थाली और अब ये …3 दिन का रोज़गार, अंधभक्तों को।”
यूपी में 3.18 करोड़ और देश में 20 करोड़ 'तिरंगे' फहराये जायेंगे….और नौकरियां कितनी, भगवन?
बस, ऐसे ही हिल्ले से लगाए रखो, युवा को।
कोरोना में ताली, थाली और अब ये …3 दिन का रोज़गार, अंधभक्तों को।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 18, 2022
देश में जहाँ बेरोज़गारी दर हर साल बढ़ता ही जा रहा है, उस समय सबसे बड़ा सवाल बनता है कि किसी गरीब या मिडिल क्लास परिवार के पास क्या अब पसंद का खाना खाने की भी आजादी है? क्या सिर्फ झंडा फहराने से युवाओं को नौकरियां मिल जाएंगी या फिर उस हर घर में पैसों की बारिश होगी?
इसका जवाब तो नहीं हैं मगर साफ़ है कि इस साल की आज़ादी केवल गोदी मीडिया के अख़बारों, न्यूज़ चैनलों और भाजपा राजनेताओं के ट्विटर हैंडल तक ही सीमित रह जाएगी और फिर से आम जनता के हाथ शायद ही कुछ लगेगा।