भारत में लम्बे समय से कभी धर्म के आधार पर तो कभी जातिगत भेदभाव होता आ रहा है। अब आसार यह है कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली सेना में भी जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया जा सकता है।
दरअसल, इंडियन आर्मी में भर्ती के लिए फ़ॉर्म भरने वाले अग्निवीरों से अब उनकी जाति और धर्म के सर्टिफिकेट माँगे जा रहे हैं। लेकिन ध्यान देने वाली यह है कि आर्मी में आरक्षण लागू नहीं है।
ऐसे में अब सवाल उठता है कि जिन नौकरियों में आरक्षण मिलता ही नहीं है, सरकार उनकी जातियों के बारे में क्यों जानना चाहती है ?
इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सी मंडल ने ट्विटर पर लिखा “सरकार सैनिकों की जाति क्यों जानना चाहती है? क्या अग्निवीर में SC, ST, OBC को 50% रिज़र्वेशन देना है? या सरकार इन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल 25% को पर्मानेंट करते समय करेगी? मक़सद क्या है, जब कोटा है नहीं? स्पष्टीकरण दीजिए।”
सरकार सैनिकों की जाति क्यों जानना चाहती है? क्या अग्निवीर में SC, ST, OBC को 50% रिज़र्वेशन देना है? या सरकार इन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल 25% को पर्मानेंट करते समय करेगी? मक़सद क्या है, जब कोटा है नहीं? #Agniveer #AgnipathScheme @adgpi @narendramodi @rajnathsingh स्पष्टीकरण दीजिए। pic.twitter.com/P6fD6aSKhU
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 18, 2022
पत्रकार दिलीप मंडल ने आगे ट्वीट करते हुए लिखा “जाति जनगणना न कराने वाली सरकार सेना में भर्ती के लिए पहली बार जाति का सर्टिफिकेट माँग रही है। इसका इस्तेमाल 75% को छाँटने में हो सकता है।
अगर ये मक़सद नहीं है तो सरकार बताए कि जब आर्मी भर्ती में आरक्षण नहीं है तो उसे कैंडिडेट की जाति क्यों जाननी है? मेट्रिमोनियल सर्विस है क्या?”
आपको बता दें कि अग्निवीर योजना में 4 साल बाद 75 % सैनिकों को रिटायर कर दिया जाएगा और सिर्फ़ 25 % को ही पक्की नौकरी मिलेगी।
इसलिए जिस जाति प्रधान देश में समाज पहले से ही बंटा हुआ है, उसी देश के लोगों में अब यह आशंका पैदा होना कि कहीं साल बाद अग्निवीरों को जाति के हिसाब से पक्का ना किया जाए कोई नई बात तो नहीं मगर बड़ी बात ज़रूर है।
सवाल तो सभी के सामने है मगर ज़रूरत है तो सरकार से जवाब मांगने की और कोशिश करने की कि सरकार एक बार फिरसे अपने कारनामों में सफल न हो पाए।