मोदी सरकार देश को आर्थिक मंदी की संकट से उभारने के बजाय सरकारी सेक्टरों को बेचने पर आतुर है। भारतीय उद्योग के तमाम क्षेत्रों में घाटा और महंगाई अपने चरम पर पहुंच चुका है। जिसके वजह से देश की जनता परेशानियों का सामना कर रही है। अभी पिछले दिनों ही देश की जीडीपी 4.5 % पर लुढ़क कर आ चुकी है।
वहीं केंद्र की मोदी सरकार लोगों को असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नये-नये कानून संसद में पास करने में लगी हैं। जिसमे पूरा देश अभी उलझा हुआ है। और उसकी वजह से नॉर्थईस्ट राज्यों में लोग सड़क पर हिंसक प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
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दरअसल अभी मामला यह है की वित्तीय संकट से गुजर रही एयर इंडिया को मोदी सरकार ने बेचने की तैयारी कर ली है। इस मामले में केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। वहीं मंत्री ने कहा की एयर इंडिया का निजीकरण नहीं होने की स्थिति में इसे बंद करना होगा।
दरअसल एयर इंडिया पर फिलहाल करीब 60,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है। आपको बता दें कि एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का जबरदस्त घाटा हुआ है। एयर इंडिया पहले से ही लंबे समय से पैसों की कमी से जूझ रही है और कर्ज के बोझ से दबी हुई है।
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वहीं यूपीए-2 के शासनकाल में एयर इंडिया को सरकार ने बचाने के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय पैकेज को मंजूरी दी थी।