मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने योगी सरकार की पोल खोल कर रख दी है। हेमा के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों का बुरा हाल है, वहां न हो स्वच्छ पानी है और न ही अच्छे शौचालय।
इस बारे में हेमा ने संसद में बोलते हुए कहा कि, “मेरे संसदीय क्षेत्र में बहुत से जगहों पर स्कूल खुले में संचालित हो रहे हैं। मैं मांग करती हूं कि जैसे सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल अपनाया है वह मॉडल प्राइमरी और स्कूली शिक्षा में लागू हो।”
हेमा ने आगे कहा कि, “पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई एकीकृत शिक्षा योजना बनाने के स्कूली शिक्षा और क्षारता विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। सरकार यह योजना ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ के विजन को लेकर आई थी।
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इसका लक्ष्य पूरे देश में प्री- नर्सरी से लेकर बारहवीं तक की शिक्षा सुविधा सबको उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की मदद करना है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार इसपर अमल नहीं कर रही है और सरकारी स्कूलों में नामांकन के 60 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है।
BJP MP from UP's Mathura, Hema Malini, in Lok Sabha: At many places (rural) in my constituency, schools are being operated in open. Children in villages are not receiving quality education. I demand that public-private partnership model be implemented in school education. pic.twitter.com/cNG7bLSooQ
— ANI (@ANI) December 3, 2019
बता दें कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां के सरकारी स्कूलों का बहुत बुरा हाल है। बात चाहे मिर्जापुर में मिड डे मील के तहत नमक-रोटी खिलाने की हो या सोनभद्र में 81 बच्चों को एल लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलकर पिलाना हो। योगी सरकार में गरीब बच्चों का मजाक बना कर रख दिया है। लेकिन योगी का ध्यान बच्चों की शिक्षा की तरफ ना होकर गाय बचाने की मुहीम पर लगा हुआ है।
हेमा मालिनी ने यूपी की शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा, “मैंने कई स्कूलों में जाकर देखा कि एक ही इमारत में चार-पांच स्कूल चल रहे हैं और कई स्कूलों में 100 बच्चों को एक शिक्षक पढ़ा रहा है। अनेक स्कूल पेड़ के नीचे चल रहे थे और इनमें पेयजल तथा शौचालय की सुविधाओं की कमी थी।
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अगर यही हल रहा तो गावों के बच्चों को बेहतर और गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल पाएगी। जिस तरह केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल अपनाया है वह मॉडल प्राइमरी और स्कूली शिक्षा में लागू हो।
गावों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। ग्रामीण बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल रही है इसीलिए केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।