भले ही राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हो लेकिन सियासी गलियारों में आज भी यह उतना ही ज़िंदा है जितना पहले था। चुनावों के इस मौसम में नेताओं के लिए राम मंदिर का मुद्दा देश में स्कूल और अस्पताल जैसे बुनियादी जरूरतों से भी अधिक महत्व रखता है।

क्योंकि राम मंदिर की इस राजनीति में नेताओं से उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों पर भी पर्दा पड़ जाता है।

दरअसल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 24 और 25 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के लिए आयोध्या में एक रैली करने की घोषणा की है जिसके बाद देश के तमाम हिन्दूत्ववादी संगठनों ने भी इसी दिन रैली का ऐलान कर दिया था।

मगर इस रैली से क्या बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने अप्पति जताई है उन्होंने कहा कि इस रैली के ऐलान के बाद अयोध्या के मुसलमान सुरक्षित महसूस नहीं कर रहें है। योगी सरकार को चाहिए अयोध्या की सुरक्षा बढ़ाई जाये और अयोध्या के मुसलमानों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाय।

इकबाल अंसारी ने कहा कि मेरी सुरक्षा और मेरे परिवार की सुरक्षा कम है कोई अनहोनी हो सकती है। अगर रैली से पहले मेरी सुरक्षा नहीं बढ़ाई जाती है तो मैं रैली के दिन 25 नवंबर को अयोध्या छोड़ दूंगा।

गौरतलब हो कि शिवसेना नेता संजय राउत ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने तय कार्यक्रम के तहत ही आयोध्या में राम मंदिर के लिए रैली तथा रामलला के दर्शन करने आएंगे।

यह कार्यक्रम दो दिन 24 और 25 नवंबर को आयोध्या में ही आयोजित किया जाएगा। साथ ही इसी दिन विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस के रैली करने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

जब पत्रकारों ने उनसे 25 नंवबर को जुड़ने वाली भीड़ के अनुमान में जवाब मांगा तो उन्होंने सीधे तौर पर जवाब ना देकर कुछ हजार पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आने की बात कहीं।

बता दें कि राम मंदिर के निर्माण के लिए शिवसेना प्रमुख ने सबसे पहले 25 नवंबर को  आयोध्या आने की घोषणा की थी। इसके बाद अन्य संगठनों ने एका-एक आयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 25 नवंबर के ही दिन को  ही अपनी रैली के लिए चुन लिया था। इससे शिव सेना प्रमुख के नाराज होने की खबरें भी आ रहीं है।

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