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Delhi High Court declines protection to Jamia students

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने आज जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के मामले में सुनवाई की। छात्रों की ओर से अंतरिम सुरक्षा दिए जाने की अर्ज़ी को कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसके बाद कोर्ट में वकीलों ने शेम-शेम के नारे लगाए।

ख़बरों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की बेंच ने इसके साथ ही छात्रों की उस अर्ज़ी को भी खारिज कर दिया, जिसमें जामिया के आसपास के इलाके की सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किए जाने की मांग की गई थी। इस दौरान कोर्ट ने छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को भी सिरे से खारिज कर दिया। मामले में कोर्ट के रुख को देखने के बाद कोर्ट परिसर में ही वकीलों ने शेम-शेम के नारे लगाने शुरु कर दिए।

हालांकि कोर्ट ने पुलिस द्वारा की गई तोड़फोड़ के मामले में जांच की बात कही है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पुलिस के एक्‍शन के खिलाफ भी मामला दर्ज होना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अब मामले की सुनवाई 4 फरवरी को की जाएगी।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मुद्दे पर सभी याचिकाएँ संबंधित उच्च न्यायालयों के पास ले जाई जाएं, ताकि वो इस बात पर विचार कर सकें कि क्या इस मुद्दे की जाँच के लिए एक स्वतंत्र जाँच समिति का गठन किया जा सकता है।

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कोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्रों की ओर से पेश हुए वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि पुलिस परिसर में घुस गई। एक छात्र को बंदूक की चोट लगी है जिसे पुलिस ने अस्वीकार कर दिया है, एक छात्र ने अपनी आंख खो दी है।

वकील ने कहा कि रिपोर्ट्स और फोटोग्राफिक साक्ष्यों से पता चलता है कि पुलिस ने परिसर में प्रवेश किया और आंसू गैस के गोले दागे। बता दें कि अधिवक्ता नबिला हसन और जामिया विश्वविद्यालय की छात्राओं लादिदा फरजाना और आयेश रेन्ना द्वारा दायर अर्जी में हिरासत में लिए गए सभी छात्रों और निवासियों को रिहा करने का अनुरोध किया गया था।

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