पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए एक आयोग का गठन किया है।
बंगाल देश का पहला राज्य है जिसने इस मामले की पड़ताल करने के आदेश दिए हैं। वैसे तो यह काम केंद्र सरकार का है, लेकिन वह इसे ‘अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र’ बताने में ज़्यादा व्यस्त है।
ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की अध्यक्षता में इस जांच आयोग का गठन किया है।
इसपर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत भूषण ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा- “ब्रेकिंग, पश्चिम बंगाल सरकार ने पेगासस स्कैंडल की जांच करने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है।
इस जांच आयोग में कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश भट्टाचार्य भी शामिल रहेंगे। ग्रेट! सच को सामने आने दो”
[BREAKING] West Bengal govt constitutes commission headed by retired SC judge Madan Lokur J to probe Pegasus scandal.
The Commission of Inquiry will also have on board former Acting CJ of the Calcutta HC, Jyotirmay Bhattacharya.
Great! Let the truth emergehttps://t.co/nduS56k7eV— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 26, 2021
ध्यान देने वाली बात है कि पेगासस मामले में सामने आया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी को भी जासूसी के लिए एक संभावित टारगेट के रूप में सिलेक्ट किया गया था। अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
दरअसल, भारत सहित दुनिया के कई देशों में पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए वीआईपी की जासूसी की खबरों ने तहलका मचा दिया है।
विश्व भर के देशों ने इसके लिए जांच टीम बैठा दी है, भारत में भी विपक्ष इसकी जांच की मांग कर रही है। लेकिन सरकार इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
अगर देश के नागरिकों के निजता के अधिकार का हनन होता है, वह भी विदेशी कंपनी द्वारा, तो केंद्र सरकार को इसके खिलाफ़ सख्त एक्शन लेना चाहिए।
हैरानी की बात तो यह है कि जब दुनिया भर के अधिकांश देश पेगासस जासूसी कांड की जांच करा रहे हैं तो भारत सरकार को इसकी जांच कराने में क्या आपत्ति है?