उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम चमकाने की कोशिशों में जुटी हुई है।
प्रदेश में हर तरफ यूपी को नंबर वन राज्य बताने वाले बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए हैं।
इसी बीच रिटायर्ड आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा योगी आदित्यनाथ को लेकर एक बड़ा खुलासा किया गया है।
उन्होंने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों की वजह से भाजपा को विधानसभा चुनाव 2022 में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ ठाकुर द्वारा दावा किया गया है कि “साल 2007 में रुदन कांड के वक्त में मैं एसपी महाराजगंज था। जब मैंने शासन के आदेश से उनके खिलाफ पचरुखिया मर्डर केस की जांच की तो मेरा ट्रांसफर कर दिया गया। जिसके बाद मर्डर केस की जांच को बंद भी कर दिया गया।”
योगी आदित्यनाथ मुझसे यूँ ही नाराज़ नहीं हैं. 2007 में उनके संसद में रुदन कांड के समय मैं SP महाराजगंज था जब मैंने शासन के आदेश से उनके खिलाफ पचरुखिया मर्डर केस में जाँच शुरू की थी, जिसमे उनके खिलाफ ठोस प्रमाण थे. मेरा ट्रान्सफर हुआ और उसके साथ ही जाँच बंद.
— AmitabhThakur (@Amitabhthakur) July 24, 2021
रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ ठाकुर का कहना है कि उनके पास इस मर्डर केस में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ठोस सबूत थे।
इसके अलावा रिटायर्ड आईपीएस अफसर विभाग ठाकुर द्वारा और भी कई बातें कही गई हैं। उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ को उन्होंने पहली बार तब देखा था।
जब वह गोरखपुर में एक ट्रेन हादसे के बाद अराजकता फैलाने का काम कर रहे थे। यह साल 1995 की बात है। उसके बाद से ही अमिताभ ठाकुर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलते आए हैं।
रिटायर्ड आईपीएस अफसर द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर भी हंगामा मच गया है।
आपको बता दें कि ये मामला साल 1999, पुलिस कांस्टेबल सत्य प्रकाश यादव की हत्या से जुड़ा हुआ है।
साल 2019 में प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पचरुखिया मर्डर केस में योगी आदित्यनाथ को क्लीन चिट दे दी थी।