केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन को 70 दिन से ज्यादा हो गए हैं। इन दो महीने में किसानों ने कई मुसीबतों का सामना किया है।

कई किसानों की जान चली गई है। किसानों के समर्थन कई सामाजिक संगठन भी हैं।

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने इस आंदोलन की शुरुआत से ही किसानों की छवि को खराब करने के लिए उन्हें आतंकी और खालिस्तानी बता दिया।

इसके बाद किसान आंदोलन को चीन और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित भी बताया गया लेकिन किसानों ने हौसला नहीं हारा और अपनी मांगों पर डटे रहे।

सोशल मीडिया पर एक किसान प्रदर्शनकारी की वीडियो वायरल हो रही है। जिसमें वह अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।

इस दौरान एक सिख युवक ने कहा- “हम मुगलों से लड़े, तो योद्धा; अंग्रेजों से लड़े, तो देशभक्त; कोरोनावायरस में लंगर बांटा, तो देश प्रेमी; अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, तो खालिस्तानी हो गए!

गौरतलब है कि भारत समेत दुनियाभर के देशों में जब भी कोई आपदा आई है तो हमेशा सिख समुदाय के लोगों ने आगे आकर जरूरतमंद लोगों की मदद की है।

जिसका हालिया उदाहरण है- कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए ‘लंगर’ लगाया जाना।

‘खालसा ऐड’ विश्व प्रसिद्ध सामाजिक संगठन है। जिन्होंने दुनिया के किसी भी कोने में आई आपदा के वक्त मदद के हाथ आगे बढ़ाएं हैं।

आज देश के सिख समुदाय पर सत्तारूढ़ पार्टी के नुमाइंदों द्वारा आतंकी और खालिस्तानी बता कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है।

दिल्ली की सीमाओं पर कड़कती ठंड में बैठे किसान भारतीय हैं और मोदी सरकार चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने ही देश के अन्नदाताओं को लूटने में लगी है।

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