जहां एकतरफ एनसीपी नेता महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश में लगे हुए थे, कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों की संख्या के बाद आवश्यक नंबर जुटाने में जद्दोजहद कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के राज्यपाल राष्ट्रपति कार्यालय से संपर्क साध रहे थे, राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर रहे थे।
राज्यपाल की बेचैनी का आलम ये था कि उन्होंने एनसीपी को सरकार बनाने के लिए जो वक्त दिया था उससे पहले ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दिए और देश के राष्ट्रपति भी इतने तत्पर दिखे कि उन्होंने तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू भी कर दिया।
सब कुछ इतनी जल्दबाजी में किया गया तो सवाल उठने लगे कि क्या ये वही राज्यपाल हैं जो बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 14 दिन दे दिए थे और अब तीन विपक्षी दलों को अपना बहुमत की संख्या जुटाने के लिए कुछ घंटे नहीं दे रहे हैं।
इसी से नाराज तमाम विपक्षी नेता राज्यपाल की इस कार्रवाई को न सिर्फ पक्षपाती बता रहे हैं बल्कि संविधान विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं।
राष्ट्रपति शासन लागू होने से नाराज होते हुए मनसे नेता राज ठाकरे बोले- राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना महाराष्ट्र के मतदाताओं का घोर अपमान है।
#PresidentRuleInMaha राज्यात राष्ट्रपती राजवट लागू होणे म्हणजे ह्या नतद्रष्टांनी महाराष्ट्राच्या मतदारांचा केलेला घोर अपमान आहे.
राज ठाकरे
— Raj Thackeray (@RajThackeray) November 12, 2019
वहीं राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन के लिए की गई सिफारिश से नाराज होकर शिवसेना ने ऐलान किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट जा रही है।