भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आज भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में पहुंचे हैं। जहां उन्होंने सोलन में किसानों और पत्रकारों से बातचीत की है।

इस मौके पर केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए जमकर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि अगर केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार किसी राजनीतिक दल की सरकार होती तो किसानों की बात जरूर सुनती। लेकिन इस सरकार को देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां।

यह देश के बड़े-बड़े उद्योगपति घराने की सरकार है। ये बड़े लोगों की सरकार है। इसीलिए मोदी सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है।

केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार देश की सरकारी संपत्तियों को बेचने का काम कर रही है। क्या सरकार ने सत्ता में आने से पहले ही यह सब अपने चुनावी मेनिफेस्टो में बताया था?

कृषि कानूनों को खत्म करवाने के साथ-साथ यह आंदोलन देश को बचाने का आंदोलन भी है। इसका मतलब यह नहीं है कि अगर इस आंदोलन में पंजाब के लोग आ जाएं तो उन्हें खालिस्तानी कहा जाए और मुस्लिम आ जाए तो उन्हें पाकिस्तानी कहा जाए।

यह सरकार जिस तरह से लोगों को तोड़ने का काम कर रहे हैं। यह इस आंदोलन में बिल्कुल भी नहीं चलेगा। यह लड़ाई उन नौजवानों की भी है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 करोड़ रोजगार देने के वादे के खिलाफ खड़े हुए हैं।

इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का वादा किया था। अब साल 2022 से किसान अपनी फसलें दोगुने दाम पर ही बेचेंगे। इसका इंतजाम सरकार कर ले।

देश के प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और कई अन्य राज्यों में यह कहा था कि साल 2022 में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी।

तो अब हम अगले साल जनवरी के महीने से अपनी फसल को दोगुने दामों पर ही बेचेंगे या फिर सरकार बताए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोल रहे हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 10 महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों द्वारा मांग की जा रही है कि जब तक सरकार तीनों कृषि विरोधी कानून को वापस नहीं लेती।

एमएसपी पर कानून नहीं बनाते। तब तक इसी तरह से यह आंदोलन चलता रहेगा। भले ही किसानों को साल 2024 तक यहां क्यों ना बैठना पड़े।

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