यूपी विधानसभा चुनाव में अब आखिरी चरण शेष रह गया है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को अब तक यह समझ नहीं आ पाया है कि चुनाव उन्हें विकास के मुद्दे पर लड़ना है या फिर हमेशा की तरह हिंदू मुसलमान पर ही फंसे रहना है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री या फिर छुटभैये नेता… हिंदू मुसलमान और मंदिर मस्जिद से वो आगे जाकर सोच ही नहीं पाते हैं.

भारतीय जनता पार्टी खुलकर यूपी में धार्मिक कार्ड खेल रही है लेकिन ग्राउंड पर इसका कोई बहुत ज्यादा असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है.

लोग असल मुद्दों पर सरकार के खिलाफ गोलबंद होते हुए दिखाई दे रहे हैं.

इसी क्रम में गाजीपुर जिले के जमनिया विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से वही पुराना हिंदू मुसलमान का राग अलाप दिया.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 के पहले बिजली की भी जाति और मजहब हुआ करती थी. ईद और मुहर्रम के त्योहार में बिजली आती थी और होली दिवाली में बिजली गायब हो जाती थी.

यह कहकर योगी आदित्यनाथ ने खुलकर धु्रवीकरण की कोशिश की और धार्मिक आधार पर वोट मांगा.

इस पर राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद और प्रोफेसर मनोज झा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अरे सरजी, कुछ नया लाइए, ये वाला घिस गया है. अब चल नहीं पा रहा है. कुछ नया लाइए.. जय हिंद.

दरसअल यूपी की जनता का मूड देखकर लग रहा है कि लोग बदलाव के मूड में हैं. लोग भाजपा की उसी घिसी पीटी धर्म की राजनीति में अब घुटन महसूस कर रहे हैं. लोग इससे बाहर निकलना चाहते हैं.

यूपी का युवा जहां बढ़ती बेरोजगारी और घटती नौकरियों के अवसर से त्रस्त है तो आम जन कमरतोड़ महंगाई से त्राहिमाम कर रहा है. सरकार के पास नीति और नियत का अभाव है.

ऐसे में उनके पास एकमात्र रास्ता लोगों को धर्म की अफीम चटाना रह जाता है. उन्हें लगता है कि धर्म की दुहाई देकर लोगों से वोट लिया जा सकता है.

लेकिन जब पेट की ज्वाला जलती है तो लोगों को रोटी और रोजगार ही सबसे बड़ा धर्म समझ में आने लगता है. यूपी में भी यही हो रहा है. अब यहां पर धर्म की घिसी पीटी राजनीति से लोग निजात पाना चाहते हैं.

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