एक बार फिर से आज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि हो गई है। सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में प्रति लीटर 28 से 29 पैसे एवं डीजल की कीमतों में 24 से 28 पैसे की बढ़ोतरी हुई है।

इसी के साथ देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये के पार हो गई हैं। मई के महीने में पेट्रोल डीजल कीमतों में यह 17वीें मूल्यवृद्धि है। वहीं राजस्थान की बात करें तो यहां पर पेट्रोल 105 रुपये प्रति लीटर हो गया है।

कोरोना महामारी और उसके बाद लगातार दो लाॅकडाउन ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है, उसके बाद बार बार बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमतों ने लोगों की परेशानियों में और इजाफा कर दिया है।

पेट्रोल डीजल की कीमतो में हो रही वृद्धि से जहां आम आदमी परेशान है, वहीं सरकार का इस पर कोई स्पष्ट संदेश नजर नहीं आ रहा है।

ऐसा लगता है कि सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि की कोई चिंता नहीं है।

एक महीने में 17 बार कीमतों का बढ़ना कोई सामान्य बात नहीं है, फिर भी सरकार बेफिक्र नजर आ रही है। सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों में हो रही मूल्यवृद्धि का ठीकरा तेल कंपनियों पर फोड़ा है।

केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि पेट्रोल डीजल की कीमतें हमारे नियंत्रण के बाहर है लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं कि आखिर पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के चुनाव के वक्त ये कीमतें क्यों नहीं बढ़ती ?

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया है। सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मौजूदा शासक चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

पेट्रोल डीजल लगातार महंगा हो रहा था लेकिन अचानक से चुनावों के दौरान यह सस्ता हो गया, अब जब चुनाव बीत गए तो ये एक बार फिर से महंगा होने लगा।

शिवसेना ने कहा कि ऐसा लगता है कि चुनाव के दौरान पेट्रोल डीजल की कीमतें कर करने से जो तिजोरी खाली हुई, सरकार उसे भरना चाहती है।

पेट्रोल डीजल की महंगाई पर व्यंग्य कसते हुए शिवसेना ने कहा कि बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी कीमतें चमत्कारिक रुप से स्थिर थी।

पड़ोसी देशों से तुलना करें तो भारत में पेट्रोल पाकिस्तान से दोगुना महंगा है। पाकिस्तान में अभी पेट्रोल 51.39 रुपये मिल रहा है. वहीं बात करें चीन की तो वहां पर पेट्रोल 81.68 रुपये प्रति लीटर है।

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