लोकसभा चुनाव करीब आते ही एक बार फिर राम मंदिर निर्माण को लेकर सियासत तेज हो चुकी है। जहां एक तरफ शिवसेना, वीएचपी और संघ मंदिर निर्माण पर कानून लाने की मांग कर रही है।

वहीं मोदी सरकार लगातार ये कहती हुए नज़र आ रही है कि हम अदालत के फैसले का इंतजार करेंगें, मगर बीजेपी सांसदों का भी कहना है कि सरकार इसपर कानून लाये और मंदिर निर्माण शुरू हो।

मगर साधू संतों के काशी धर्म संसद में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने जो कहा उसपर भी गौर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण का हल अदालत से ही निकलना चाहिए।

राम मंदिर राग द्वेष से नहीं श्रद्धा के साथ मिलकर बनाने की ज़रूरत है, क्यूँकि अयोध्या में लोग किसी धर्म या मज़हब का विरोध करने नहीं भगवान राम का दर्शन करने जाते हैं।

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उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी राम मंदिर निर्माण नहीं चाहती ही नहीं वो सिर्फ इस मुद्दे को राजनीति कर रही है। जिसका फायदा उसे चुनाव हो और सत्ता हासिल हो जाए।

उन्होंने सीएम योगी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अयोध्या में मंदिर बनवाना योगी के बस में नहीं है अगर निर्माण होगा तो साधू संत ही करेंगें।

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उन्होंने योगी के श्री राम की 150 मीटर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरदार पटेल की मूर्ति 182 मीटर की बन रही और प्रभु श्रीराम की मूर्ति 150 मीटर उन्होंने कहा कि क्या पटेल श्रीराम से बड़े है।

बता दें कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। जनवरी से इस मामले की सुनवाई शुरू होगी। मगर बीजेपी सहयोगी दल और संघ लगातार राम मंदिर पर कानून लाने का दबाव बना रहे है और मोदी सरकार इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है।

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