विदेशों में जमा कालाधन लेकर आयेंगें और कालाधन रखने वालों के नाम भी उजागर करेंगें। ये कहना था बीजेपी का जिन्होंने केंद्र की सत्ता में आने के लिए ये सब वादे जनता से किये थे।

मगर अब जब इसकी जानकारी मांगी गई तो पीएमओ ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। ये कहते हुए कि सूचना का खुलासा करने से जांच और दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने में दिक्कतें आएगी।

दरअसल भारतीय वन सेवा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने आरटीआई आवेदन में मोदी सरकार से सवाल पूछा था कि विदेश से अबतक कितना कालाधन आया है। जिसके जवाब में पीएमओ ने कानून की धारा 8(1)(एच) का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया।

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पीएमओ ने जवाब देते हुए कहा कि इस समय सरकार दोषियों के खिलाफ किये सभी कार्यो/प्रयासों का खुलासा या धर-पकड़ या मुक़दमे की पूरी प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है इसलिए इसमें आरटीआई कानून की धारा  8 (1) (एच) के तहत दी गई छूट का प्रावधान लागू होता है।

इससे पहले सीआईसी केंद्रीय सूचना आयोग ने 16 अक्टूबर को पीएमओ एक आदेश जारी कर कहा था कि 15 दिनों के अंदर कालेधन का ब्यौरा मुहैया कराने के लिए कहा गया था। फिर भी पीएमओ ने विदेशों से आए कालाधन की जानकारी देने से मना कर दिया।

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पीएमओ ने कहा कि ये मामला जांच विभिन्न सरकारी खुफिया और सुरक्षा संगठनों के दायरे में आती है जिन्हें आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।

गौरतलब हो कि मोदी सरकार अपने पांचवे साल में प्रवेश कर चुकी है। मगर अभी विदेशों से कितना कालाधन आया इसकी जानकारी जनता को नहीं है और न ही बीजेपी इस बारे में चर्चा कर रही है।

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