मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास के नाम पर सवर्णों को आरक्षण देने जा रही है। आरएसएस बहुत दिनों से आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहा था।

कैबिनेट मीटिंग में यह तय हुआ है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। 2019 के लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले आरक्षण पर लिए गए इस फैसले को मोदी सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को दिया जाने वाला ये 10 फीसदी आरक्षण पहले से दिए जा रहे 49.4 फीसदी आरक्षण से अलग होगा। ये आरक्षण भी सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में लागू होगा।

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सरकार के इस फैसले पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी ने कहा है कि

‘आरक्षण आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए नहीं है। यह सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए था। अगर मोदी सरकार को लोगों कि आर्थिक स्थिति में सुधार करना है तो उन्हें 15 लाख रुपए और नौकरी दे दीजिए।’

तेजस्वी यादव ने ये भी कहा है कि मोदी सरकार को पहले जातिगण जनगणना के आंकड़े सामने लाने चाहिए जिससे पता चल सकेगा कि कौन सी जातियां क्या काम करती हैं।

अब सवाल ये भी है कि मोदी सरकार इस 10 फीसदी आरक्षण को लागू कैसे करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट आरक्षण की सीमा 50% निर्धारित की है।

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ऐसे में इस 10 फीसदी आरक्षण को लागू करने के लिए मोदी सरकार को संविधान में संसोधन करना पड़ेगा। खबरों की माने तो मोदी सरकार इससे जुड़े संशोधन को कल यानी 8 जनवरी को सदन में पेश कर सकती है।

बात दें कि संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। अभी तक SC को 15 प्रतिशत, ST को 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग यानि OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।

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