मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्कूल के बच्चों को ‘मामू’ बनाने का मामला सामने आया है। लाखों बच्चों को साइकिल खरीदने के लिए वाउचर देने का वादा करने वाले शिवराज सिंह चौहान द्वारा अब वादा न निभाने का सच सामने आया है।
NDTV में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिवराज सिंह चौहान इस बात की घोषणा करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए साइकिल की व्यवस्था करेंगे।
उन्होंने बकायदा इसके लिए वाउचर की व्यवस्था करने की बात कही और बताया- वाउचर की व्यवस्था इसलिए की जाएगी कि उनके लिए अलॉट की गई राशि का किसी और चीज में इस्तेमाल ना हो सके।
मगर इतना वक्त बीत जाने के बाद भी, उनके दावे के ठीक उलट मध्य प्रदेश के स्कूलों के बच्चे मुख्यमंत्री की घोषणा को झूठा बता रहे हैं, स्कूल पहुंचने में होने वाली परेशानियां गिना रहे हैं।
छात्रों ने बताया कि कैसे साइकिल ना मिलने की वजह से उन्हें स्कूल पहुंचने में दिक्कत हो रही है, साथ ही इस बात का भी जिक्र किया कि 25 – 26 किलोमीटर दूर चलकर कैसे स्कूल जाना होता है।
इस रिपोर्ट के पब्लिश होते ही लोग शिवराज सिंह चौहान से सवाल करने लगे और वर्तमान भाजपा सरकार को गैर जिम्मेदार बताने लगे। इसी कड़ी में सवाल करने वालों में खुद भाजपा सांसद वरुण गांधी को भी आगे देखा गया।
उन्होंने ट्विटर पर रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा
“कंधों पर सपनों का बस्ता लिए बच्चे पढ़ाई के लिए 26 km तक का सफर रोज़ कर रहे हैं।
बच्चों को साइकिल के लिए किए गए वायदे क्या फाइलों में फंस गए? ये देश का भविष्य हैं,इनके सपने पूरे करना हम सब का दायित्व है।
मैं 25 जरूरतमंद बच्चों को साइकिल उपलब्ध करा रहा हूँ। आशा है और लोग आगे आएंगे। “
कंधों पर सपनों का बस्ता लिए बच्चे पढ़ाई के लिए 26 km तक का सफर रोज़ कर रहे हैं।
बच्चों को साइकिल के लिए किए गए वायदे क्या फाइलों में फंस गए? ये देश का भविष्य हैं,इनके सपने पूरे करना हम सब का दायित्व है।
मैं 25 जरूरतमंद बच्चों को साइकिल उपलब्ध करा रहा हूँ।आशा है और लोग आगे आएंगे https://t.co/9Df5cCc25R
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 21, 2022
भाजपा सांसद का यह सवाल शायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जवाबदेही तय करे, शायद एक्शन लेने के लिए उन्हें मजबूर करे, मगर असल सवाल अभी भी बना हुआ है कि मीडिया के सामने किए जाने वाले बड़े बड़े वादे समय पर डिलीवर क्यों नहीं किए जाते? पढ़ाई और दवाई जैसी बुनियादी सेवाएं आम लोग समय से क्यों नहीं पाते?