नूपुर शर्मा द्वारा हज़रत मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के मामले में देशभर में जिस तरह अराजकता का माहौल बना, उसमें तमाम हिंसक घटनाएं सामने आई थीं।

इसी क्रम में मध्य प्रदेश से भी खबर आई थी कि निशांक राठौर नाम के युवक की हत्या कर दी गई और उसके पिता ने दावा किया था कि मोबाइल पर ‘सर तन से जुदा’ की धमकी वाला मैसेज आया था।

मामले को सांप्रदायिक रंग देकर जमकर राजनीति भी की गई मगर जब विशेष जांच दल (SIT) ने मामले की पड़ताल की तब कुछ नए खुलासे हुए।

दरअसल युवक ने अलग-अलग वजहों से डिजिटल ऐप के जरिए लोन लिए थे, जिन्हें चुकाने का उसपर भारी दबाव था। साथ ही हाल ही में बहन की फीस के नाम पर लिए गए लोन के पैसे के भी हेरफेर का मामला था।

पैसे की व्यवस्था ना कर पाने की वजह से परेशान युवक ने संभवतः ऐसा कदम उठाया जिससे उसे एक खास विचारधारा के लोगों की सहानुभूति मिल सके और हो सके तो परिवार के लिए चंदा इकट्ठा हो जाए।

BBC की एक ख़बर के अनुसार, SIT ने खुलासा किया है कि युवक के मोबाइल पर आया हुआ मैसेज उसके मृत्यु से कुछ मिनट पहले का है। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है  कि ये मैसेज सहानुभूति के मद्देनज़र तैयार किया गया था।

निशांक पर कर्ज के दबाव का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने 18 ऑनलाइन एप्प से कर्ज़ ले रखे थे जिन्हें चुकाने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ पा रहा था।

संभव है कि दबाव की मनःस्थिति में उसने आत्महत्या कर लिया हो मगर सवाल है कि इस मामले को हिंदू मुस्लिम विवाद के रूप में पेश किस इंटेंशन के साथ किया गया? क्या सांप्रदायिकता की राजनीति ने एक नौजवान को इस हद तक भ्रमित कर दिया कि उसको सुसाइड में भी सहानुभूति के स्टंट अपनाने पड़े?c

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