पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष बिमन बनर्जी ने संसदीय लोकतंत्र से जुड़े मामलों और सदन के कार्यों में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की अत्याधिक दखलअंदाजी का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनकी शिकायत की है।

बनर्जी ने मंगलवार को वर्चुअल रूप से आयोजित ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेन्स’ के दौरान धनखड़ की शिकायत की है।

बिमन बनर्जी का कहना है कि, ‘विधान सभा की ओर से पारित होने के बावजूद कई विधेयक राज्यपाल के पास अटके हुए हैं क्योंकि उन्होंने उन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

मैंने लोकसभा अध्यक्ष को संसदीय लोकतंत्र और विधान सभा के कामकाज में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की अत्यधिक दखलअंदाजी के बारे में बताया।’

धनखड़ के ममता सरकार के साथ हमेशा से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। बिमन बनर्जी ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए इतना तक कह दिया कि पश्चिम बंगाल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में यह अभूतपूर्व है, ऐसी स्थिति पहले कभी पैदा नहीं हुई थी।

टीएमसी के वरिष्ठ नेता और MLA तापस रॉय ने कहा है कि, “हम लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि बंगाल के राज्यपाल एक खास राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं।

वे न केवल राज्य के मामलों में जरूरत से ज्यादा दखल दे रहे हैं बल्कि पश्चिम बंगाल सरकार की छवि भी खराब कर रहे हैं।”

वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष का कहना है कि टीएमसी को राज्यपाल धनखड़ से समस्या होना लाज़मी है क्योंकि राज्यपाल उनकी अराजक गतिविधियों का पर्दाफाश कर रहे हैं। उनके खिलाफ पहले भी शिकायतें आयी हैं लेकिन सारी निराधार ही निकली हैं।

राज्यपाल धनखड़ के खिलाफ कुछ दिन पहले ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने संबंधियों और करीबियों को कार्यरत करने का मामला सामने आया था।

महुआ मोइत्रा ने उन्हें इतना तक कहा था कि अगर इस तरह काम करना है तो जाकर केंद्र सरकार के साथ काम करें।

बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के बाद से मुख्यमंत्री और राज्यपाल धनखड़ बीच तकरार बनी हुई है। इसी सिलसिले में राज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी मामले से अवगत कराया था।

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