मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर अपनी उपलब्धियों को गिनाया। भारी-भरकम शब्दों के साथ सीएम योगी ने लखनऊ में कहा, “चुनौतियों और संभावनाओं के बीच संकल्पों और सिद्धांतों की नाव से यात्रा करते हुए उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं।” लेकिन इन तीन सालों में सिद्धांतों की बात करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में बेटियों की अस्मत लूटी गई।
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए योगी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कहा कि, “महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश में 81 मजिस्ट्रेट स्तरीय न्यायालय एवं 81 अपर सत्र न्यायालय क्रियाशील हैं। इसके अतरिक्त पक्सो एक्ट के लिए 218 नए फस्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया है।” योगी सरकार द्वारा इतने न्यायालय बनाने के बावजूद महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
इसकी बानगी तब देखने को मिली जब बेटियों की अस्मत लूटने वाले दो बीजेपी के बड़े नेता रहे। एक का नाम है बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और दूसरे का नाम है वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद। इन दोनों केसों में ऐसे कई वाकये सामने आए जब ऐसा लगा कि प्रदेश सरकार अपने नेताओं को बचाने में लगी हुई है। मगर मीडिया के दवाब के चलते आखिरकार कुलदीप सेंगर को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। लेकिन चिन्मयानंद जमानत पर बाहर आ गए।
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पहला बड़ा मामला उन्नाव की बेटी का है जिसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। बाद में मामले को दबाने के लिए बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर से जुड़े लोगों ने युवती के पिता सहित परिवार के दो सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में 23 वर्षीय उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को 5 दिसम्बर 2019 की सुबह रेलवे स्टेशन जाते समय रास्ते में 5 आरोपियों ने जिंदा जला दिया था। 90 फ़ीसदी जल चुकी पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
राजनीतिक और मीडिया के दबाव में बीजेपी ने बहुत बाद में पार्टी से निष्कासित किया। कुलदीप सेंगर को कोर्ट ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। सेंगर को पीड़िता के पिता की हत्या मामले में 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई है। सेंगर आपराधिक साजिश, अपरहण, शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिला का उत्पीड़न और बलात्कार का दोषी ठराया गया।
अगर योगी सरकार ने उन्नाव दुष्कर्म केस में समय रहते अपने विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ कार्रवाई की होती तो पीड़ित युवती के पिता और परिवार बिखरने से बच जाते। मुख्यमंत्री योगी को कागजों पर कोर्ट बनाने और बनवाने की बजाय महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सही मायने में सजग होना पड़ेगा।
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वहीं शाहजहांपुर केस में लॉ छात्रा से चिन्मयानंद तेल की मालिश करवाता पकड़ा गया था। इस घटना का वीडियो भी सामने आ चुका है। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने जाँच एसआईटी को सौंपी। जाँच में चिन्मयानंद दोषी पाया गया तो एसआईटी ने उसे गिरफ्तार कर लिया। बाद में चिन्मयानंद को ज़मानत मिल गई। फिलहाल मामला कोर्ट में चल रहा है।
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम योगी ने सूबे में अच्छी कानून व्यवस्था की बात की। मगर पिछले साल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने आकड़ें जारी किए थे। एनसीआरबी की रिपोर्ट ने उन सभी राज्यों की पोल खोल कर रख दी थी, जो अपने राज्य में अच्छी कानून व्यवस्था और रामराज्य की दुहाई देते रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी का योगी राज सबसे अव्वल आया था। हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या और अपरहण जैसे आपराधिक मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन है। यूपी में मार्च 2017 से योगी आदित्यनाथ की सरकार चल रही है।
उत्तर प्रदेश के योगी राज में 56 हजार 11 मामले दर्ज किए गए हैं, जोकि रिकॉर्ड सबसे ज्यादा था। लेकिन योगी सरकार हमेशा इन आंकड़ों पर पर्दा डालती रही है।