DHFL – उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में हुए पीएफ घोटाले पर योगी सरकार घिरती जा रही है। योगी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि सैकड़ों करोड़ के इस घोटाले में वह संलिप्त हैं।

जहां कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे बिजली कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है, वहीं समाजवादी पार्टी भी इसे बड़ा मुद्दा बना रही है और योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग कर रही है।

जानें क्या है मामला

मुंबई स्थित कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी (DHFL) में यूपी विद्युत निगम लिमिटेड यानी यूपीपीसीएल (UPPCL) ने अपने कर्मचारियों के पीएफ का निवेश करवाया है। निवेश की ये राशि 26 सौ करोड़ रुपए बताई जा रही है। और अब जब मुंबई हाईकोर्ट ने डी एच एफ एल द्वारा किए जाने वाले सभी भुगतान ऊपर रोक लगा दी है तो कंपनी में जिनका निवेश किया गया है वह घबराए हुए हैं और मानकर चल रहे हैं कि उनके रुपए डूब गए हैं।

हमलावर हुआ विपक्ष-

इसपर सवाल उठाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार ने राज्य के पावर कॉरपोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा डीएचएफएल DHFL जैसी डिफाल्टर कंपनी में फंसा दिया है साथ ही पूछा- किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की दो हजार करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह कंपनी में लगा दी गई, कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ क्या जायज है ?

मामले में बीजेपी सरकार और बुरी तरह फंसती हुई तब दिखी- जब मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग की। समाजवादी पार्टी के फेसबुक पेज पर लिखा गया-पीएफ़ घोटाले का ख़ुलासा! दर्ज एफ़आईआर के स्पष्ट बिंदुओं से तस्फीर साफ़ है। कर्मचारियों की कमाई को अपने फ़ाइनेंशियल पार्ट्नर DHFL के खाते में ट्रांसफर करने वाली भाजपा सरकार इसमें भागीदार है। इस्तीफ़ा दें मुख्यमंत्री।

इससे पहले भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरोप लगाए थे, साथ ही एक स्टिंग खुलासे का हवाला देते हुए कहा था कि डीएचएफएल से 20 करोड़ का चंदा लेने वाली भाजपा के ऊर्जा मंत्री बताएं ये रिश्ता क्या कहलाता है ?वो भाजपा सरकार जो अपने बेदाग होने का ढिंढोरा पीटती रहती है अब उसके घोटालों की परतें खुलती जा रही हैं। भाजपा सरकार को बताना होगा कि बिजली कर्मियों के हक का पैसा उस कंपनी में लगाने के पीछे क्या रहस्य है जो डिफाल्टर कंपनी रही है ?

डीएचएफएल से भाजपा का रिश्ता क्या है ?

एक कंपनी के डिफाल्टर घोषित होने पर लोग सीधे सीधे भाजपा पर हमलावर हो रहे हैं तो ये जानना भी जरूरी हो गया है कि भाजपा से उस कंपनी के क्या रिश्ते रहे हैं।

गौरतलब है कि खोजी पत्रकारिता करने वाली न्यूज़ वेबसाइट कोबरापोस्ट ने जनवरी में दावा किया था कि डीएचएफएल DHFL ने 31000 करोड़ रुपए का घोटाला किया है और इसने भाजपा को अवैध तरीके से चंदा दिया है

कोबरापोस्ट स्टिंग के मुताबिक, हाउसिंग लोन देने वाली कंपनी डीएचएफएल ने कई सेल कंपनियों को करोड़ों रुपए का लोन दिया और फिर वही रुपया वापस उन्हीं कंपनियों के पास आ गया, जिनके मालिक डीएचएफएल के प्रमोटर हैं।

आरोप है कि इस तरह से कंपनी ने करीब 31000 करोड रुपए से ज्यादा की हेराफेरी की। इस खुलासे में ये भी दावा किया गया कि 2014 से लेकर 2017 के बीच तीन कंपनियों ने अवैध रूप से भाजपा को लगभग 20 हजार करोड़ का चंदा दिया था। इन तीनों कंपनियों के नाम हैं- आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स, स्किल रियल्टर्स और दर्शन डेवलपर्स

रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये तीनों कंपनियां डीएचएफएल DHFL से जुड़ी हुई हैं और इन्हीं सेल कंपनियों के जरिए उन्होंने हजारों करोड़ की धोखाधड़ी की है।

सिर्फ कंपनी का घोटाला या फिर सरकारों की सांठगांठ ?

कोबरा पोस्ट के रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो कंपनी के इस मनमाने खेल में बीजेपी सरकार की सीधी इंवॉल्वमेंट है। एक डिफाल्टर कंपनी में कर्मचारियों के हजारों करोड़ निवेश करवाने को महज संयोग नहीं माना जा सकता जबकि उसी कंपनी ने भाजपा को 20 करोड़ का चंदा दिया हो।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है- क्या बीजेपी ने अपने मददगार कंपनी को करोड़ों का फायदा पहुंचाने के लिए हजारों बिजली कर्मचारियों को फंसा दिया ?

जिन कर्मचारियों के 26 सौ करोड रुपए इस कंपनी में बीएफ निवेश के तौर पर फंस गए हैं अब उनका भविष्य क्या होगा ?

DHFL

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