उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक मां को अपनी ही 6 वर्षीय बेटी की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी का परिवार आर्थिक संकट से गुज़र रहा था जिसके दबाव में आकर मां ने इतना बड़ा कदम उठाया।
दरअसल, ये पूरा मामला प्रयागराज के एक गांव भेस्की का है जो कि हंडिया पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। अभियुक्त का नाम उषा देवी है।
आर्थिक तंगी से परेशान होकर और अपनी 6 वर्षीय बेटी की भविष्य में शादी करने की चिंता को लेकर इस मां ने इतना कठोर कदम उठा लिया।
पुलिस ने बताया है कि उषा देवी ने पैसों की कमी के कारण ही ये अपराध किया है। पुलिस का ये भी कहना है कि उषा देवी की “मानसिक स्तिथि” ठीक नहीं है।
2 वर्ष पहले उषा के पति रत्नेश तिवारी एक हादसे का शिकार हो गए थे जिसके बाद वो कुछ खास काम नहीं कर पाते थे। उषा देवी ही हाउस हेल्प का काम करके थोड़ा बहुत पैसा जुटा पाती थी।
TOI की ख़बर के मुताबिक 6 वर्षीय बेटी के अलावा दोनों को दो बेटे भी हैं। कोरोना महामारी के बीच उनके लिए घर चला पाना और भी ज़्यादा मुश्किल हो गया था।
ये पूरा मामला बहुत से सवाल खड़े करता है। पहला तो ये कि सरकार द्वारा ऐसे पीड़ित परिवारों को मदद क्यों नहीं दी जाती? क्या सरकार केवल घोषणाएं करती है? कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री द्वारा बड़े-बड़े राहत पैकेजों का एलान हुआ था, उसका फायदा उषा देवी के परिवार को क्यों नहीं मिला?
एक सवाल समाज के ताने-बाने पर भी उठता है। बेटी को समाज में बोझ क्यों समझा जाता है? उषा देवी ने भी अपनी बेटी की ही हत्या की, बेटों की नहीं।
दहेज प्रथा के गैरकानूनी होने के बावजूद लड़की के मां-बाप को उसकी शादी कराना इतना भारी काम क्यों लगता है, इतना भारी कि 6 साल की बेटी की भी जान ले ली जाती है।