” यूपी में कानून व्यवस्था काफी खराब है और इसमें सुधार किये जाने कि आवश्यकता है। कानून व्यवस्था ठीक रहेगी तभी विकास और व्यापार कि तरक्की होगी “ ये बयान है उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का। ये बयान साल 2015 में अखिलेश सरकार में दिया था। अब ये बयान सिर्फ इंटरनेट और इतिहास के पन्नों में दर्ज है।

क्योंकि अब राज्यपाल साहब कोई बयान या प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। ना सरकार से नाराजगी जाहिर करते हैं।

यूपी में लोकसभा चुनाव ख़त्म होते ही मानो अपराधियों ने कोहराम मचाने की ठान ली है। हरतरफ हत्या,बलात्कार,लूट, डकैती जैसी घटनाएँ घट रही हैं।

मुख्य विपक्षी दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं को सरेआम मारा जा रहा है। पत्रकारों को पीटा जा रहा है, महिला वकील की हत्या कर दी जा रही है।

अखिलेश सरकार में छोटी सी घटना पर चिट्टी लिखने वाले महामहिम राम नाईक खामोश है। मानो उन्हें लगता है कि जैसे उनके प्रदेश में रामराज्य आ गया है।

रामराज्य तो नहीं आया है लेकिन 2017 में सरकार बदलकर भाजपा की आ गई है। जिसकी कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई है।

अब सवाल उठता है कि क्या क्या अलीगढ़ से लेकर आगरा में बार काउंसिल अध्यक्षा की हत्या पर राज्यपाल को सीएम  को पत्र नहीं लिखना चाहिए था ? आखिर योगी सरकार जो प्रदेश को अपराध मुक्त करने के दावे करती है।

क्या सारे अपराध और कानून व्यवस्था की खराबी सिर्फ अखिलेश सरकार में ही थी ? वैसे समाजवादी पार्टी ने भी कई बार राज्यपाल पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया था।

बीते बुधवार को दरवेश यादव के अंतिम संस्कार  में पहुंचे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीएम योगी के साथ-साथ राज्यपाल पर निशाना साधा था।

उन्होंने कहा था कि, राज्यपाल महोदय को सूबे के हालात नहीं दिख रहे। क्यों राज्यपाल चुप्पी साधे हुए हैं।

अखिलेश ने कहा कि हमारी सरकार थी तब राज्यपाल खुलकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते थे लेकिन अब चुप हैं। इतना ही अखिलेश ने कहा कि हमारी सरकार में राज्यपाल गिनाते थे कि किस जाति के कितने अधिकारी हैं लेकिन सब चुप हैं।

इस मामले पर सोशल मीडिया पर भी काफी प्रतिक्रियाएँ लिखी जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता सोमवीर सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा ” उठो रामनाईक जी अब आंखें खोलो 72 हत्या, 32 बलात्कार हो गये अब मुँह भी खोलो”

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