दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाले गए ट्रैक्टर मार्च के दौरान कई जगहों पर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। ताकि किसानों की छवि को खराब किया जा सके इस घटना के बाद कई किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपना रास्ता अलग कर लिया।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दोबारा पूरे आंदोलन की अगुवाई कर इसे और मजबूत करने का काम किया है। इस मामले में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भी राकेश टिकैत का खुले तौर पर समर्थन किया है। जिनमें से एक राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी।

लखीमपुर और पीलीभीत के बॉर्डर पर रालोद नेता ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर सरकार ने अपने स्टैंड को और भी ज्यादा सख्त कर लिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें उलझ चुके हैं। यह बात तो साफ हो चुकी है कि सरकार किसी की भी बात मानने को राजी नहीं है।

इसलिए इस किसान आंदोलन के दायरे को और भी बढ़ाने की जरूरत है। जिसके चलते हम लखीमपुर आहार पीलीभीत के बॉर्डर पर आए हैं।

दूरदराज के इलाकों से लोग यहां पर एकजुट हो रहे हैं। ताकि सरकार को यह एहसास दिलाया जा सके कि यह एक सीमित आंदोलन नहीं है। सब किसानों की भावनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

अगर सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती है तो कल को सरकार बदल भी सकती है।

दरअसल जयंत चौधरी पर किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाने के आरोप भी लगाए जा रहे थे। जिसपर जवाब देते हुए कहा कि राजनीति का मुद्दा किसान और खेती होना चाहिए किस तरह से आप और किसान की आजीविका में सुधार ला सकते हैं।

किसानों को संगठित करने के लिए हमारी राजनीतिक पार्टी पूरी कोशिश कर रही है। यह हमारा दायित्व है और हमारी जिम्मेदारी बनती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मुजफ्फरनगर दंगों, औरंगजेब और मुगलों की बातें करने के अलावा और कुछ नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here