उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े-बड़े दावों के विपरीत महिला अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन राज्य से महिला सुरक्षा के दावों को झुठलाती कोई ना कोई घटना सामने आ जाती है। अब उत्तर प्रदेश के बदायूं में गैंगरेप और हत्या मामले ने एक बार फिर देश को हिलाकर रख दिया है।

बदायूं में 50 वर्षीय महिला आंगनवाड़ी कर्मचारी के साथ मंदिर के महंत, उसके चेले और ड्राइवर ने गैंगरेप कर जो दरिंदगी की है। उससे योगी सरकार पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। बता दें कि 50 वर्षीय महिला आंगनवाड़ी कर्मचारी पूजा करने के लिए मंदिर गई थी।

इस मामले में विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए बदायूं गैंगरेप और हत्या मामले को निर्भया कांड के साथ जोड़ दिया है। इस मामले में दो आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि एक मुख्य आरोपी मंदिर का महंत अभी भी फरार चल रहा है।

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बदायूं में हुए गैंगरेप-हत्या कांड पर दुःख जाहिर किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “उत्तर प्रदेश के बदायूं में 50 साल की महिला के साथ हुए भयानक गैंगरेप ने एक बार फिर याद दिला दिया है कि किस तरह इस देश में महिलाओं को सिर्फ वस्तु के रूप में देखा जाता है। जिसका अपनी मर्जी के मुताबिक़, दुरुपयोग छेड़छाड़ उत्पीड़न रेप और हत्या की जा सकती है। शर्मनाक।”

आपको बता दें कि इस मामले में उत्तर प्रदेश की विरोधी पार्टी सपा ने भी योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भाजपा महिला सुरक्षा के सिर्फ झूठे दावे करती है। दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिला कर न्याय किया जाए।

इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी इस घटना की निंदा करते हुए जल्द से जल्द दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा देने की मांग की है।

वहीं इसी मामले पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार रोहिणी सिंह लिखती हैं- बदायूँ में 50 वर्षीय महिला पूजा करने घर से निकली, उसके साथ पुजारी और उसके साथियों ने जो किया सुन कर आत्मा काँप उठे।

गैंगरेप के बाद प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल उसे कुचला गया, पैर तोड़ दिए गए, पसलियाँ तोड़ दी गयी, फेफड़े तक तोड़ दिए गए और खून ज्यादा बह जाने से महिला की मौत हो गयी।

एक अन्य ट्वीट के जरिए रोहिणी ने कहा- “अब बस कहीं ऐसी खबर न आए कि वो महिला दरअसल ‘विदेशी फ़ंडिंग’ लेकर योगी सरकार को बदनाम करने एक साज़िश के तहत आयी थी। उसके परिवारजनों को गिरफ़्तार ना किया जाए, FIR की प्राथमिकता कर आरोपियों को बचाने का प्रयास ना हो और सरकार सच लिखने वालों को धमकी ना दे। क्यूँकि यहाँ परंपरा तो यही है।”

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