उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान हिंसक घटनाएं हुई थीं। जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को युद्धस्तर पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीएम के आदेश पर पुलिस ने प्रदेशभर में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां कीं। लेकिन पुलिस ने इस दौरान कई बेकसूर लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया। जिसका खुलासा अब हो रहा है।
हिंसा में भूमिका ना साबित कर पाने के बाद अब पुलिस को कई गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करना पड़ रहा है। इसी फेहरिस्त में अब सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी, दीपक कबीर और मो. शोएब का नाम भी जुड़ गया है। लखनऊ के एडीजे संजय शंकर पांडेय ने शुक्रवार को इन चारों की जमानत मंजूर कर ली है।
इन लोगों को 19 दिसंबर को लखनऊ के परिवर्तन चौक पर हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किया गया था। एएसपी पूर्वी सुरेश चंद्र रावत ने बताया था कि दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर, दीपक कबीर और मो. शोएब को हजरतगंज पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। चारों पर आरोप है कि उन्होंने धारा 144 लागू होने के बाद भी गैरकानूनी रूप से लोगों को बुलाकर सम्मेलन किया, जिसके दौरान उपद्रव और हिंसा हुई।
कांग्रेस, सपा समेत विपक्ष की पार्टियों ने गिरफ्तारियों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी और योगी सरकार से रिहाई की मांग की थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इन लोगों को रिहा किए जाने की मांग की थी। उन्होंने लखनऊ में दारापुरी और सदफ़ जाफ़र के परिजनों से मुलाकात भी की थी।