उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ यूपी पुलिस का दमन जारी है, पुलिस द्वारा ऐसे लोगों को भी आरोपी बनाया जा रहा है जो उस वक़्त हिन्दुस्तान में ही मौजूद नहीं थे।
यूपी पुलिस का एक ऐसा ही कारनामा सामने आया है जिसमें पुलिस ने उपद्रव मचाने के आरोप में एक ऐसे शख्स को आरोपी बनाया है जो पिछले काफी दिनों से सऊदी अरब के मक्का में हज कर रहे थे। उनके पासपोर्ट पर 12 से 28 दिसंबर तक सऊदी में मौजूद होने की भी मुहर लगी है लेकिन यूपी की तेज़ तर्रार पुलिस ने सुलेमान खान को 20 दिसंबर की घटना में दोषी मानते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज़ किया है।
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बहराइच के रहने वाले सुलेमान खान पर यूपी पुलिस ने धारा 144 का उल्लंघन, पुलिस कर्मी की हत्या की कोशिश करने जैसी संगीन धाराओं में केस दर्ज किया है जिससे पता चलता है कि पुलिस दबाव में है या फिर बदले की भावना से कार्यवाई कर रही है।
इससे पहले भी यूपी पुलिस 6 साल पहले मर चुके बन्ने खान का नाम अराजकता फैलाने वालों की सूची में डाल चुकी है और बहुत सारे ऐसे लोगो पर भी एफआईआर हुई है जो लोग बीमार या उम्र दराज़ होने के कारण बिस्तर से भी नहीं उठ पाते है और उनकी उम्र 90-95 वर्ष है।
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इससे एक बात तो साफ़ है कि यूपी पुलिस का मक़सद आरोपियों को पकड़ना नहीं बल्कि लोगो में दहशत फैलाना है जिससे कि लोग सरकार और नागरिकता कानून के विरुद्ध अपनी आवाज़ ना बुलंद कर सके।
यूपी पुलिस की कार्यवाई से एक बात साफ़ है पुलिस आरोपियों को पकड़ने की जगह उन लोगो पर केस दर्ज़ कर रही है जिनके नाम उनके दिमाग में चल रहे है या फिर जो नाम उनके टूटे-फूटे स्रोत से मिल रहे है बाकि देश के प्रधानमंत्री ने तो कहा है कि दोषी कपड़ो से पहचाने जाएँगे, हो सकता है यूपी पुलिस कपड़ो से ही पहचान कर रही हो।