नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ़ उत्तर प्रदेश पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई एक बार फिर से शुरु हो गई है। अब लखनऊ पुलिस ने हसनगंज इलाके में 7 जगहों पर दबिश दी।

इस दौरान पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता ज़ैनब सिद्दीकी के घर पर भी दबिश दी। आरोप है कि पुलिस ने ज़ैनब के परिजनों से मारपीट की और उनके माता-पिता को जबरन उठाकर थाने ले गई।

जैनब सिद्दीकी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि देर रात उनके घर पुलिस आई थी। उसने फोटो दिखाते हुए कहा कि आप सीएए/एनआरसी के प्रदर्शन में शामिल हुई थीं।

हमने इनकार कर दिया। हमने कहा कि हम सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन किसी भी प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए और ना ही मेरा इससे पहले किसी भी मुकदमे या फिर किसी प्रदर्शन में नाम है।

इसके बाद वो लौट गए और 1 से 1.30 घंटे बाद फिर से लौट कर आए और लाठी-डंडे से मारना शुरू कर दिया।

ज़ैनब बताती हैं कि उनकी छोटी-छोटी बहनें हैं, उन्हें सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं। इसके बाद 10 से 15 पुलिसवाले पापा को पकड़ कर हसनगंज थाने ले गए। बहन और मां को भी थाने में बिठा कर रखा गया।

ज़ैनब ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनका कसूर क्या है? पुलिस ने महिलाओं-बच्चों के लिए काम करने वाली समाजिकत कार्यकर्ता के घर पर धावा क्यों बोला?

यूपी पुलिस की इस कार्रवाई की रिहाई मंच ने कड़े शब्दों में निंदा की है। रिहाई मंच ने पुलिसिया कार्रवाई को दमनात्मक करार देते हुए ज़ैनब के परिजनों को सुरक्षा दिए जाने और उन्हें तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है।

रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बिना कारण बताए गैर कानूनी तरीके से किसी को ले जाना गलत है। यह परेशान करने के मकसद से लोगों कि आवाज़ का दमन करने के लिए किया जा रहा ।

उन्होंने कहा कि योगी पुलिस संविधान-लोकतंत्र को ताक पर रखकर दमन की कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत फिर से नागरिकता आंदोलन के नाम पर लोगों के होर्डिंग-पोस्टर लगवा रही है जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट भी यूपी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा चुका है।

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