कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जब क्वारंटीन वार्ड अथवा सेन्टर का नाम सुनाई पड़ता है तो व्यवस्था,सुख सुविधा एवं देखरेख के मामले में जेहन में किसी फाइव स्टार हॉस्पिटल के किसी डिलक्स रूम की श्रेणी ताजा हो जाती है। परंतु वास्तविकता में धरातल पर असलियत कुछ अलग ही है।
इंसानियत को शर्मसार करने वाला ये वायरल वीडियो प्रयागराज के एक क्वारंटीन सेंटर का है। जिसमे एक कोरोना पॉजिटिव पाए गए युवक के समस्त परिवार को कोरंटीन किया गया है। जिसमे वृद्ध से लेकर बच्चे सब युवा वर्ग के लोग शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो में गंदगी से पीड़ित ये महिला भी आज की रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव पायी गयी है और ये छोटे छोटे बच्चे भी संदिग्धता के मापदंड में हैं। वीडियो में दिख रहा है, किस तरह लोहे के गेट के उस पार क्वारंटीन किए गए परिवार के लोग, इधर उधर फेके हुए अव्यवस्थित फटे पुराने गद्दे रजाई, इधर उधर मरे पड़े चूहे और जानवरों के मल मूत्र दिखा रहे हैं, कैसे घर के छोटे-छोटे बच्चे युवा बुजुर्ग, जिन्हें विशेष देखरेख की आवश्यकता है, वो कैसे जमीन पर इधर उधर बैठे हैं।
वीडियो में देखा जा सकता है कैसे एक सामान्य सी बाउंड्री वाल के अंदर खुले आसमान के नीचे लोगो को क्वारंटीन किया गया है, जंहा पर लाइट तक कि व्यवस्था नही है। शौचालय सुविधाओं का हाल भी अकल्पनीय है; स्वच्छ भारत अभियान का विदेशों में ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार के इस क्वारंटीन सेंटर का हाल ऐसा है कि, यंहा मरीज क्या जानवर का भी रहना दुश्वार है।
प्रयागराज के रिहायशी इलाके में बनाए गए इस क्वारंटीन सेंटर का ये हाल देखकर ऐसा लगता है की, इसकी देखभाल करने वाले लोग खुद कोरोना से भयभीत हैं अथवा इन लोगों तक व्यवस्था पहुंचाने के नाम पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर भाग खड़े हुए हैं। तभी तो बंद गेट की जर्जर दीवारों के, अंधेरे कमरों के अंदर, जानवरों की तरह इन लोगो को फेंक कर अपने हिस्से के काम को अंजाम दे दिया गया है।
वही दूसरी तरफ शहर के अन्य क्षेत्र से एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमे एक शख्स,लोहे के दरवाजे के भीतर खड़ा होकर फल वितरण कर रहा है; और उस शख्स को भूखी भोली भाली जनता ने, बिना लॉकडाउन के मापदंडों एवम छ: गज की दूरी से परे, ऐसे घेर रखा है, जैसे सालों से ये लोग भूख से तड़प रहे हों। और आज के बाद उन्हें कभी खाने को नही मिलेगा। इतने कड़े नियम कानून को आम जनता के ऊपर आरोपित करने वाली सरकारों को भी जनता को प्रदत्त की जाने वाले मूलभूत जन सुविधाओं की सुव्यवस्था में ढील देने वाले सरकारी साहबों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
रिपोर्ट – आकाश ओझा