
हिंदू धर्म के नाम पर नैतिकता की ठेकेदारी लेने वाला अखाड़ा परिषद शाहजहांपुर मामले में बलात्कार के आरोपी बीजेपी के वरिष्ठ नेता चिन्मयानंद (Chinmayanand) के बचाव में उतर आया है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी (Narendra Giri) ने कहा है कि स्वामी चिन्मयानंद के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने ये स्पष्ट रबप से कहा कि अखाड़ा परिषद स्वामी चिन्मयानंद का हर तरह से साथ देगा।
अखाड़ा परिषद के इस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है। अब अध्यात्मिक गुरु एवं कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) ने इसपर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद का इस तरह बालात्कार के आरोपी के समर्थन में उतरना सनातन धर्म के मूल्यों के ख़िलाफ़ है।
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उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद स्वामी चिन्मयानन्द को अखाड़ा परिषद् का खुला समर्थन, सनातन धर्म की उन मर्यादाओं” और उन मूल्यों के ख़िलाफ़ है, जो आदि शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिये स्थापित किये थे”।
यौन “शोषण”
के आरोप में “जेल” में बंद स्वामी चिन्मयानन्द को अखाड़ा परिषद् का खुला समर्थन,सनातन धर्म की उन “मर्यादाओं” और उन “मूल्यों”
के ख़िलाफ़ है, जो आदि शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिये स्थापित किये थे.— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) October 11, 2019
बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद पर लॉ की एक छात्रा ने रेप के आरोप लगाए हैं। हालांकि इन आरोपों के बावजूद 45 दिन बाद हुई चिन्मयानंद की गिरफ्तारी में रेप की धारा नहीं लगाई गई है। चिन्मयानंद की गिरफ्तारी एक वीडियो के आधार पर हुई, जिसमें वह एक युवती से नग्न मसाज कराते नज़र आ रहे हैं।
चिन्मायनंद के ख़िलाफ़ सिर्फ 376C, 354D,342,506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें धारा 376 (सी) जिसके मुताबिक किसी शख़्स द्वारा अपनी ताक़त और पद का इस्तेमाल करते हुए ज़बरन यौन शोषण किया जाता है। वहीं 354D इस धारा के तहत किसी लड़की या महिला का पीछा करना जैसी वारदातें शामिल हैं।
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जिसमें पहली बार अगर व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसको तीन साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है और अगर वह व्यक्ति दूसरी बार इस तरह की वारदात में दोषी पाया जाता है। उसे पांच साल तक की कैद और जुर्माना भी हो सकता है। मगर इन सभी धाराओं में 375 को नहीं जोड़ी गया, जो कि रेप की धारा है।