तबरेज़ अंसारी हत्याकांड में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। पिटाई के बाद तबरेज़ का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने मामले में पुलिस द्वारा मर्डर की धारा हटाए जाने को ग़लत बताया है। डॉक्टरों का कहना है कि अंसारी की हत्या हुई थी, हमारे निष्कर्षों को ग़लत तरीके से पेश किया गया।

खबरों के मुताबिक, डॉक्टरों ने तबरेज अंसारी की हत्या की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस ने आरोपियों को कानून के हाथों से बचाने के लिए मामले को ग़लत तरीके से पेश किया। डॉक्टरों का कहना है कि हमारे निष्कर्षों का गलत अर्थ निकाला गया है। जबकि अंसारी की मौत पिटाई से हुई थी।

वहीं पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कि कहा था कि अंसारी की मौत दिल का दौरा पड़ने (कार्डियक अरेस्ट) से हुई और यह पूर्व नियोजित हत्या का मामला नहीं है। पुलिस ने इससे पहले अंसारी की पत्नी की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में आरोपियों पर हत्या का आरोप लगाया था।

बता दें अंसारी की पिटाई से चार दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई थी। जिसके बाद झारखंड पुलिस ने अंसारी की पत्नी की शिकायत पर 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन पुलिस ने हाल ही में इस मामले में हत्या की धारा हटा दी थी। लेकिन अब डॉक्टरों के ताज़ा बयान से यह साफ़ हो गया है कि पुलिस कहीं न कहीं आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है।

तबरेज अंसारी की पत्नी का भी कहना है कि दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है, मैं चाहती हूं कि सीबीआई से मामले की जांच करानी चाहिए, ताकि न्याय मिल सके।

क्या है मामला

18 जून को सरायकेला के धातकीडीह गांव में भीड़ ने चोरी के आरोप में तबरेज़ अंसारी की एक पोल से बांधकर बेरहमी से पिटाई की थी। पिटाई के दौरान अंसारी को जय श्री राम और जय हनुमान बोलने के लिए भी मजबूर किया गया था।

पिटाई के बाद, अंसारी को पुलिस ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था और न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। चार दिन बाद, उसे एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने मारपीट में घायल होने के कारण दम तोड़ दिया।

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