दुनियाभर में कहर ढाने वाला कोरोना वायरस भारत में भी तेज़ी से फैल रहा है। अब तक देश में वायरस संक्रमण के तकरीबन 147 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें 3 की मौत हो चुकी है। कोरोना के ख़तरे को देखते हुए देश में कई जगह स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल और दफ्तर बंद कर दिए गए हैं।
इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आईपीएल मैचों को भी टाल दिया गया है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कोरोना के ख़तरे के बावजूद अयोध्या में ‘राम नवमी मेले’ के आयोजन की तैयारी पूरे ज़ोर-शोर से चल रही है। बताया जा रहा है कि इस मेले में 10 लाख लोगों के जुटने की संभावना है। इतनी बड़ी भीड़ के जुटने की संभावना को देखते हुए कोरोना वायरस फैलने की आशंका जताई जा रही है।
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अयोध्या के चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) घनश्याम सिंह इस आशंका के मद्देनज़र प्रशासन से रामनवमी के आयोजन को टालने की अपील कर चुके हैं। उनका कहना है, ‘हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में लोगों का टेस्ट करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं हैं’।
लेकिन ज़िला प्रशासन ने न केवल सीएमओ की चिंताओं को खारिज कर दिया, बल्कि ये दावा किया कि सीएमओ ने कभी इस तरह की टिप्पणी नहीं की। जिला अधिकारियों ने कहा कि वे निश्चित हैं कि ‘मेला’ बिना किसी समस्या के आयोजित किया जाएगा।
अयोध्या के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने सभी जरूरी इंतजाम किए हैं’। उन्होंने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि सभी सावधानियां बरती जाएं और भक्तों को ‘क्या करें और क्या न करें’ से भी अवगत कराया जाएगा।
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अयोध्या के साधु-संत भी मेले के आयोजन को टालने के ख़िलाफ़ हैं। अयोध्या में तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि इसे (मेला) रोका नहीं जा सकता। इससे लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। इस साल यह अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहली बार भगवान राम स्वतंत्र हुए हैं।
ग़ौरतलब है कि रामनवमी के दिन रामलला गर्भ गृह पर बने 28 साल पुराने टेंट से निकलकर संगमरमर के चबूतरे पर बने अस्थाई मंदिर में विराजेंगे। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संभव हुआ है, इसलिए इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये लोगों की जान से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। क्या कोरोना के ख़तरे को देखते हुए सूबे की योगी सरकार को मेले के आयोजन को नहीं टाल देना चाहिए?