unemployment
Unemployment

इस तालाबंदी का असर नोटबंदी से कई गुना भयावह है. फर्क मात्र इतना है कि कोरोना महामारी प्राकृतिक आपदा है, यह नोटबंदी की तरह सरकार निर्मित आपदा नहीं है. तालाबंदी के बाद दो हफ्ते के भीतर 11.9 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया है.

कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया भर में मौतों की संख्या एक लाख दस हजार पहुंच गई है. ये मौतें जब रुकेंगी, उसके बाद हो सकता है कि इस दुनिया को प्रीकोरोना और पोस्ट कोरोना एरा में देखा जाए.

बाकी दुनिया का छोड़ दें, भारत पर ही यह एक अभू​तपूर्व संकट लेकर आया है. कोरोना महामारी शांत होने के बाद मुसीबतें बढ़ने वाली हैं.

योगेंद्र यादव ने अपने एक लेख में लिखा है, ‘कोरोना वायरस की वजह से नौकरियों के नुकसान के आंकड़े बेहद भयावह हैं. शायद, दुनिया में ऐसा नुकसान पहली बार देखने को मिल रहा है. पिछले दो हफ्तों में देश में जितने लोगों ने रोजगार गंवाये हैं, वैसा देश के आर्थिक इतिहास में अब तक देखने में नहीं आया.’

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इकोनॉमी (सीएमआइई) के आंकड़े के आधार पर योगेंद्र ने लिखा है, ‘फरवरी 2020 में भारत में लगभग 40 करोड़ (40.4 करोड़) लोगों को रोजगार हासिल था. तालाबंदी घोषित होने के तुरंत बाद वाले हफ्ते में काम-धंधे के आयु-वर्ग वाली आबादी का मात्र 27.7 प्रतिशत हिस्सा रोजगार में लगा था. ये आंकड़ा 28.5 करोड़ लोगों का होता है. इसके मायने कि मात्र दो हफ्ते के भीतर आय-अर्जन के किसी भी काम में लगे लोगों की संख्या 40.4 करोड़ से घटकर 28.5 करोड़ पर पहुंच गई यानि रोजगार में लगे लोगों की संख्या में दो हफ्ते के भीतर 11.9 करोड़ की कमी आई.’

दो हफ्ते में करीब 12 करोड़ लोगों के हाथ से काम छिन गया है.

कोरोना के पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था जमीन पर आ गई थी. जीडीपी के आंकड़े 2 से 4 फीसदी के बीच झूल रहे थे. अब ये और नीचे जाएंगे.

गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रहेगी.

विश्व बैंक ने कहा है कि 2020-21 में भारत की जीडीपी घटकर 2.8 फीसदी रह जाएगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी भारत के भविष्य पर किसी बुरे साए की भांति झूल रही है.

शहरों से भागते हुए लाखों मजदूरों के रूप में हम इसकी तस्वीर देख भी चुके हैं. आने वाला वक्त उद्योग धंधों को और चौपट करेगा. भारत सरकार ने सामान्य दिनों में भी अर्थव्यवस्था को अपने पराक्रम के जरिये 8 फीसदी से 4 फीसदी पहुंचा दिया था. बाकी का काम कोरोना कर देगा. आने वाले कल की तस्वीर जैसी भी होगी, डरावनी होगी.

(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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