narendra modi
Narendra Modi

मोदी सरकार ने कल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए GDP की विकास दर का अनुमान जारी किया है उनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की दर पांच फीसदी ही रह जाएगी जो पिछले एक दशक में सबसे कम है।…….

हमे पता है कि खुद सरकार की तरफ से ऐसी रिपोर्ट आई है लेकिन देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल इस खबर के प्रति उदासीन बने रहेंगे, वो सिर्फ पाकिस्तान और हिन्दू मुस्लिम में आपको उलझाए हुए रखेंगे ताकि अर्थव्यवस्था की बदहाली की असली तस्वीर आप समझ ही नही पाए……….

बहुत से लोग पूछते हैं कि यह जीडीपी की विकास दर से हमे क्या? आम जनता को इन सबसे क्यो मतलब होना चाहिए? उन्हें क्या फर्क पड़ेगा? दरअसल देश की जीडीपी का गिरना हर नागरिक पर असर डालता है क्योंकि इससे प्रति व्यक्ति आय का औसत भी कम होता है. अगर जीडीपी 8 फीसदी हो तो प्रति व्यक्ति आय में हर महीने 843 रुपये का इजाफा होगा और अभी जीडीपी 5 फीसदी है तो प्रति व्यक्ति आय में मासिक बढ़त घटकर 526 रुपये रह गयी है. मान लीजिए कि जीडीपी 4 फीसदी हो जाती है तो ये सिर्फ 421 रुपये रह जाएगी. यानी जीडीपी गिरते ही लोगों की जेब में आने वाला पैसा भी कम हो जाता है.

अर्थव्यवस्था में 0 लाकर भी मोदी टॉपर हैं क्योंकि गोदी मीडिया ने आपकी आँखों में धूल झोंक रखी है

महज तीन साल पहले यह किसने सोचा होगा कि भारत की जीडीपी वृद्धि पाँच फीसदी से भी नीचे आ जाएगी? ऐसी परिस्थितियों आने पर ही मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि, ”भारत कोई सामान्य आर्थिक संकट की चपेट में नहीं है बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही गंभीर संकट आ गया है।

विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है, ओर भारत के लिए चेतावनी भी जारी कर दी है जबकि साल की शुरुआत में ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने अनुमान जताया था कि 2019-20 में भारत की जीडीपी विकास दर 6-7 फीसदी रहेगी. लेकिन अब सब इसे 5 फीसदी के नीचे जाता आँक रहे हैं. खुद आरबीआई भी वित्तवर्ष की शुरुआत में कह रही थी कि 2019-20 में जीडीपी 2018-19 से बेहतर रहेगी और एक रिपोर्ट में 7.2 फीसदी विकास दर का अनुमान भी जताया था. लेकिन अब वह भी 5 फीसदी पर अटक गई है

तो ऐसा क्या हो गया है कि सब जो भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आँक रहे थे वह अब इसे बेहद कमजोर बता रहे हैं इसका राज इस साल आए अलग अलग आंकड़ों में छिपा हुआ है …..

जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है……..

भारत के उत्पादन-संबंधी अनुमानों से भी पता चला कि अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्र में 2019 में उल्लेखनीय गिरावट आई है. इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP), जो देश के औद्योगिक क्षेत्र का मापदंड है यह सात साल में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. IIP आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में भारत का औद्योगिक उत्पादन 4.3 प्रतिशत घटा है, जो अक्टूबर 2011 के बाद सबसे कम है…….

सब चंगा सी नहीं! PM मोदी ने एक महीने में दूसरी बार रद्द किया असम दौरा, ये CAA विरोध का डर है?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी PLFS (पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे) की रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो 45 वर्षों में सबसे खराब है. यह रिपोर्ट 2017-18 के लिए थी, अब हालात और भी बुरे है इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि 2018-19 में मनरेगा में काम करने वाले 18 से 30 आयु वर्ग के श्रमिकों की संख्या 70.7 लाख पहुंच गई जबकि 2017-18 में यह केवल 58 लाख थी। 2013-14 के बाद इन आंकड़ों में लगातार गिरावट आई थी लेकिन चालू वर्ष में लगातार बड़ी तादाद में लोग इसके तहत रोजगार चाह रहे हैं।…….

उपभोक्ता विश्वास सूचकांक भी 2019 में छह साल के निचले स्तर 89.4 पर पहुंच गया था. इससे पहले, सितंबर 2013 में यह सबसे कम 88 दर्ज हुआ था……

ऐसे ओर भी आँकड़े है सरकारी रिपोर्ट है जो बताती है कि 2020 का यह साल इकनॉमी के लिए डिजास्टर साबित होने जा रहा है क्योंकि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने के बजाए जनता को भावनात्मक मुद्दों में उलझाए रखना चाहती है उसकी प्राथमिकता GDP की विकास दर को बढ़ाना नही है बल्कि हिन्दू विकास दर को बढ़ाना है जिसके लिए उसने सफलता पूर्वक CAA, NRC ओर NPR जैसे प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिए हैं, जीडीपी जाए भाड़ में……….

  • गिरीश मालवीय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here