अभिनव यादव

‘धरतीपुत्र’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव का आज 81वां जन्मदिन है, मुलायम 22 नवंबर को 80 साल के हो गए। मुलायम ने यूपी के रास्ते दिल्ली तक का सफर बखूबी से किया है। भारत की राजनीति में मुलायम को राजनीतिक दावं-पेंच का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। मुलायम सिंह ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में वो सब पाया जो एक राजनीतिज्ञ पाना चाहता है।

यही वजह है कि जब भी देश में तीसरे मोर्चे की चर्चा हुई, मुलायम सिंह यादव का नाम सबसे पहले लिया गया है। मुलायम का जन्म आज से 80 वर्ष पूर्व 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई (इटावा) गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बहुत कम लोगों को पता है कि मुलायम सिंह पेशे से एक ‘शिक्षक’ थे। मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से एमए और जैन इंटर कॉलेज करहल (मैनपुरी) से बीटी करने के बाद इंटर कॉलेज में पढ़ाने लगे।

मुलायम सिंह की पूरी राजनीति ‘समाजवाद’ पर टिकी है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत महान समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में भाग लेकर किया और इसके लिए वो जेल गए। ज़मीन पर उतरकर राजनीति करके के बाद मुलायम सिंह यादव 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए।

इमरजेंसी के दौरान मुलायम तमाम बड़े नेताओं के साथ 19 महीने जेल में रहे। 1977-78 में रामनरेश यादव की सरकार में मुलायम पहली बार मंत्री बने। इस दौरान राजनीति करने के बाद 90 के दशक में उन्होंने 1992 में ‘समाजवादी पार्टी’ की स्थापना की। ये वो दौर था जब ‘राम’ के नाम पर राजनीति हो रही थी और देश में साम्प्रदायिकता चरम पर थी। इसी समय ‘भाजपा’ का उभार भी बहुत तेजी से हो रहा था। लेकिन मजबूत इरादों वाले मुलायम ने अपने समाजवाद के सामने बीजेपी के साम्प्रदायिकता को टिकने नहीं दिया।

पोंगापंथी के खिलाफ बोलते हुए मुलायम ने मुखरता से बोलते हुए संसद में कहा था कि, “आप पैर सिर पर रखवाते हो और पैर से आशीर्वाद लेते हो। मेरी संतो और ऋषि-मुनियो में बहुत आस्था है लेकिन हम पैर नहीं रखवाएंगे और न मैंने किसी किसी शंकराचार्य के पैर छुए है।”

मुलायम ने आरएसएस के बारे में संसद में कहा था, “हमारा देश सभी धर्मो का सम्मान करने वाला देश था मगर अब सरकार में बैठे बीजेपी के कुछ लोगों ने क्या किया ? आप लोगों से पूछता हूं कि क्या आप इस्लामीकरण का भारतीयकरण करना चाहते हैं? हम तो चाहते है कि कम से कम इस संघ परिवार का भारतीयकरण हो।”

समाजवादियों का दावा है कि नेताजी ने समाजवाद की राजनीति को लोहिया के बाद दोबारा जिंदा किया और लगभग तीन दशकों तक समाजवाद की राजनीति के जरिए गरीब, किसान, मजदूर को उनका हक़ दिलाया। मुलायम ने एक तरह से मुख्यधारा से गायब गरीबों को उनका अधिकार दिलाया। यही काम बिहार में लालू प्रसाद यादव ने भी किया। उत्तर प्रदेश में मुलायम के बारे में एक बात बहुत आम है कि उन्होंने यूपी लगभग एक-एक गांव की यात्रा की है। इसीलिए वो उत्तर प्रदेश की राजनीति को इतना करीब से समझते हैं।

यही वजह रही कि गरीब जनता, मजदूर, किसानों ने मुलायम सिंह यादव को सर आंखों पर बिठाया। मुलायम उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने। सबसे पहले वो 1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007 तक यूपी जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसी बीच वो 1996 से 1998 तक एचडी देवेगौडा और इंद्रकुमार गुजराल की सरकार में भारत के रक्षामंत्री बने। रक्षामंत्री मुलायम ने शहीद सेना के जवानों मृत शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके घर तक पहुंचने तक के इंतजाम का अभूतपूर्व काम किया।

2012 में एक बार फिर मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में बहुमत (224 सीटें) पाकर अखिलेश यादव को यूपी की सत्ता सौंप दी। इसके बाद मुलायम सिंह ने दिल्ली की राजनीति का रुख कर लिया।

मुलायम सिंह की राजनीत में अब सक्रियता लगभग न के बराबर है। इसीलिए उन्होंने लखनऊ में पार्टी मुख्यालय पर अपने जन्मदिन के कार्यक्रम में बेटे एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, अन्य बड़े समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने कहा कि, “अब पार्टी आपके हाथों में है। इससे जन-जन जोड़ें और सपा को मजबूत बनाएं।

आज आज मुलायम सिंह यादव की राजनीति इसलिए भी याद की जानी चाहिए कि केंद्र में ऐसी सरकार है जो बात बात पर सेना के नाम पर वोट मांगती है। सैनिकों की सुरक्षा घटा देती है, सुविधाएं छीन लेती है, इसके बावजूद सेना के नाम पर ही वोट लेती है। गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव जब रक्षामंत्री थे तब उन्होंने ही यह सुनिश्चित किया कि सैनिक कहीं भी शहीद होगा, उसके शव को ससम्मान घर तक पहुंचाया जाएगा।

सैनिकों की शहादत को सही सम्मान देने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने कभी चुनावी रैलियों में राष्ट्रवाद के नाम पर वोट नहीं मांगा। वो बार-बार समाजवाद का जिक्र करते हैं और लोहिया-जयप्रकाश-जनेश्वर मिश्र के रास्ते पर चलने का दावा करते हैं। इसे मुलायम सिंह की महानता मानी जाए या न मानी जाए लेकिन सेना के नाम पर वोट मांगने वाली मोदी सरकार राजनीति सतही और निम्न स्तरीय है, ये बात सर्वमान्य है।

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