मोदी सरकार में विकास का सूचकांक ऊपर जाए न जाए मगर डॉलर, डीजल और पेट्रोल के दाम जरुर रिकॉर्ड दर्ज कर रहे हैं।

शुक्रवार को बाज़ार खुलते ही रूपया अब तक के सबसे नीचले स्तर 71 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया है। हालाकिं गुरुवार के मुकाबले 17 पैसों की मामूली सुधार आई है।

वहीँ अगर पेट्रोल डीज़ल की बात करें तो पेट्रोल अब तक 78 रुपये 52 पैसे प्रति लीटर जबकि डीजल 70 रुपये 21 पैसे प्रति लीटर की कीमत पार कर चुका है।

 

दरअसल चुनाव में जनता के सामने सस्ते पेट्रोल डीजल के दाम जब बढ़ रहे थे तो बीजेपी ने पेट्रोल डीजल के दाम को लेकर नारा गड़ा था। बहुत हुई पेट्रोल डीजल की मार अबकी बार मोदी सरकार।

अब जब सरकार अपने आखिरी साल में प्रवेश कर चुकी है तब उसके बाद जनता को बताने के लिए कुछ नहीं की आखिर पैसा अब तक के नीचले स्तर क्यों पहुंचे गया है।

वहीँ अगर इकनॉमिक अफेयर्स के सेक्रटरी सुभाष चंद्र गर्ग की मानें तो विदेशी निवेशकों की भारतीय बाज़ार में वापसी के साथ रुपया 68-70 के बीच रह सकता है।

इस साल रुपये में 10 फीसदी की गिरावट आई है और एशियाई मुद्राओं में यह सबसे बुरी स्थिति है। रुपये में गिरावट के चलते आयात, विदेश में शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी हो गई है।

रूपए में आई इस गिरावट से लोग नाराज़ दिख रहे हैं और सोशल मीडिया पर सरकार  की जमकर खिंचाई हो रही है।

 

ऐसा होने से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी असर पड़ा है क्योंकि भारत 80 फीसद कच्चे तेल का आयात करता है। कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है वहीँ रूपया की गिरावट की वजह से तेल कंपनियां को महंगाई का सामान करना पड़ रहा है।

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