मोदी सरकार पर आरोप है कि वो देश के संसाधनों को उद्योगपतियों के हाथों में सौंप रही है। कालाधन वापस लाकर सभी की जेब में 15 लाख डालने के वादे पर आई ये सरकार उद्योगपतियों की जेबें भर रही है।

मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही सरकारी कंपनियों को बेचना शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया को विनिवेश कहा जाता है। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में विनिवेश के जरिये 80,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य को हासिल करने का उद्देश रखा है।

इसके लिए केंद्र सरकार नौ सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) की संपत्तियां बेचने की योजना बना रही है। मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद लगातार सरकारी संपत्तियों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंप रही है।

2014 से अबतक 2 लाख करोड़ से ज़्यादा की सरकारी संपत्तियां बेच चुकी है। सरकार ने 2014-15 में विनिवेश से 31,350 करोड़ रुपए कमाए, 2015-16 में 25,312, 2016-17 में 45,500 और 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपए।

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें एयर इंडिया, पवन हंस, हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन्स और हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट शामिल हैं। बिक्री के लिए इन कंपनियों की संपत्तियों की पहचान कर ली गई है।

लेकिन इस तरह से ये संपत्तियां बेचना जनता के हित में नहीं है। क्योंकि इस तरह से सब कुछ निजी हाथों में चला जाएगा। जो सामान और सेवाएँ अभी तक जनता को सस्ते में मुहय्या कराए जा रहे हैं उनके दाम बढ़ जाएँगे।

सरकार की ओर से जो भी वस्तुएं मिलती हैं उनका उत्पादन सरकारी कंपनियों में ही होता है। इसके अलावा देश के अन्य क्षेत्रों जैसे, कोयला, तेल को रिफाइन करना, गैस निकलना और आदि के लिए इस मशीनरी का उपयोग होती है।

इन सरकारी कंपनियों में काम कर रहे लोगों या मजदूरों को भी कई तरह के अधिकार होते हैं और उनका वेतन और सुविधाएँ निजी क्षेत्र से बहतर होती हैं।

लेकिन जब ये सरकारी कम्पनियाँ उद्योगपतियों के हाथों में चली जाएंगी तो ज़ाहिर सी बात है वो इन्हें जनता के फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए चलाएँगे।

यहाँ काम कर रहे मजदूरों से लेकर देश की आम जनता को इसका नुकसान होगा। मुनाफे की होड़ में महंगाई भी बढ़ेगी और सरकारी सेवाएँ महंगी हो जाएंगी।

इसके अलावा इस प्रक्रिया के चलते अगर सब कुछ बिक जाएगा तो सरकार के पास क्या रहेगा। पूंजीपति अपनी मनमानियों पर भी उतर आ सकते हैं और अपने हाथ काट चुकी सरकार के पास तमाशा देखने के अलावा कोई चारा नहीं होगा।

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