बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आजकल अपने भाषणों की वजह से नहीं, बल्कि फिसलती जुबान और पैरों के गलत ताल मेल की वजह से सुर्खियों में है।

ऐसा नहीं है कि गिरना कोई ख़बर हो जाये और इस ख़बर को ज्यादा महत्व भी नहीं देने चाहिए। मगर जब एक पार्टी अध्यक्ष विपक्षी नेता का नाम भूलकर अपने नेता का नाम लेने लगे तो सुर्खिया तो बनेगी ही।

ऐसा ही कुछ हुआ मध्यप्रदेश की एक चुनावी जनसभा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उन्होंने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम लेने बजाय मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का नाम ले लिया।

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अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि मित्रों भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी उससे पहले शिवराज सिंह की सरकार थी और उनके राज में राज्य की स्थिति बहुत ही ख़राब थी।

बीजेपी सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी होने का दावा करती है। मगर उसी पार्टी के अध्यक्ष जब अपने मुख्यमंत्री का नाम न याद रहे तो इसे गलती कही जा सकती है।

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जिस पद शाह है उस पद पर भाषणों में गलती हो जाया करती है। चाहे वो राफेल का दाम बताने में अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से गलती हो सकती है तो अमित शाह से भी गलती हो सकती है आखिर दोनों है तो इंसान ही और इंसानों से ही गलती होती है।

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