जज लोया केस की सुनवाई करने से अब हाईकोर्ट के जज भी बचते नज़र आ रहे हैं। इस केस की सुनवाई कर रहे दो जजों (जज सुनील शुक्रे और जज एसएम मोदक) ने केस की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अब हाईकोर्ट की दूसरी बेंच इस केस की सुनवाई करेगी।

हालांकि दोनों जजों ने इस केस से हाथ खींचने की वजह नहीं बताई है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों जजों ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि इस केस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी है। माना जा रहा है कि अमित शाह के डर से दोनों जजों ने केस की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि यह सुनवाई नागपुर के एक वकील सतीश उइके की याचिका पर होनी है। जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि जज लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं बल्कि रेडियोएक्टिव आइसोटोप ज़हर देने से हुई थी।

उन्होंने याचिका में दावा किया था कि जज लोया की हत्या ज़हर देकर की गई और उनकी मौत से संबंधित सभी दस्तावेज मिटा दिए गए।

वकील ने किया ख़ुलासा- जज लोया को ‘रेडियोएक्टिव आइसोटोप’ ज़हर देकर मारा गया

याचिका में महाराष्ट्र सरकार पर भी आरोप लगाए कि हमारे पास उस बात के पुख्ता सबूत हैं जो महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत के सामने पेश नहीं किए।

राज्य के कुछ अधिकारियों ने उन सबूतों को मिटाने की कोशिश की। वकील सतीश ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में याचिका दायर कर जज लोया की ‘संदिग्ध एवं असामयिक’ मौत की पुलिस जांच की मांग की थी।

जज लोया गुजरात और राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों सहित अमित शाह के खिलाफ सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे।

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जिस याचिका पर सुनवाई होनी है उसमें बताया गया है कि सोहराबुद्दीन मामले में मुख्य आरोपी के रूप में अमित शाह को बरी करने के मामले पर लोया ने फैसले का मसौदा पहले से ही तैयार कर लिया था। वह इस फैसले को सुनाते इससे पहले ही नागपुर के एक गेस्ट हाउस में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई।

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