जज लोया केस में बीजेपी के राष्ट्रीय अमित शाह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नागपुर के एक वकील सतीश उइके ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में इस केस को लेकर एक याचिका दायर की है। जिसमें दावा किया गया है कि जज लोया को ज़हर देकर मारा गया।

लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक, सतीश उइके ने अपनी याचिका में दावा किया है कि रेडियोएक्टिव आइसोटोप ज़हर के कारण जज बीएच लोया की मौत हुई थी।

209 पन्नों की याचिका में सतीश ने दावा किया है कि वकील श्रीकांत खांडलकर और वकील प्रकाश थोंबरे, जिनकी कथित तौर पर रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी, ने उन्हें बताया था कि लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप ज़हर दिया गया था।

सतीश ने अपनी याचिका में कहा है कि अमित शाह ने मार्च 2015 में तीन दिनों तक नागपुर के दौरे के दौरान परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा से मुलाकात की थी। इसके साथ ही सतीश ने यह भी आरोप लगाए हैं कि इसके बारे में सभी आधिकारिक रिकॉर्ड मिटा दिए गए।

लाइव लॉ से बातचीत के दौरान सतीश ने बताया कि शाह और सिन्हा के बीच हुई मुलाकात साबित करती है कि लोया को रेडियोएक्टिव ज़हर दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि खांडलकर और थोंबरे के कहने पर उइके ने जज लोया से वीडियो कॉल पर बात की थी।

सतीश ने बताया कि जज लोया ने उन्हें बताया था कि सोहरबुद्दीन मामले के चलते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उन्हें लगातार धमकाया जा रहा था।

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बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम शामिल थे।

याचिका के मुताबिक, सोहराबुद्दीन मामले में मुख्य आरोपी के रूप में अमित शाह को बरी करने के मामले पर जज लोया ने फैसले का मसौदा पहले से ही तैयार कर लिया था, जिसे उन्होंने वकील खांडलकर के साथ साझा भी किया था। जिसके बाद खांडलकर की मौत भी रहस्यमय परिस्थितियों में हो गई थी। खांडलकर का शव दो दिन बाद कोर्ट परिसर से मिला था।

यह पहली बार नहीं है जब सतीश ने जज लोया की रहस्यमयी मौत को लेकर इस तरह के आरोप लगाए हों, इससे पहले भी उन्होंने याचिका दायर कर आरोप लगाए थे कि इस केस की वजह से उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

इस केस से जुड़े वकीस प्रकाश थोंबरे की भी मई 2016 में ट्रेन से नागपुर से बेंगलुरु जाने के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। उइके के मुताबिक, 8 जून 2016 को नागपुर में उनके दफ्तर पर भारी पाइप, लोहे की शीट और सरिये गिरे, लेकिन कुछ मिनट पहले ही वहां से निकल जाने की वजह से वह बच गए।

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इसी ख़तरे के मद्देनज़र उन्होंने यह गुजारिश की है कि सभी ज़रूरी दस्तावेजों को अदालत के पास सुरक्षित रखा जाये। अब तक उनकी याचिका किसी बेंच के सामने नहीं रखी गई है। सतीश ने यह भी बताया कि उनके पास जज लोया की मौत से जुड़े और सबूत भी हैं, वे बाद में हाईकोर्ट में पेश करेंगे।

बता दें कि जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर के एक गेस्ट हाउस में हुई थी। उनकी मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था। लेकिन जिस वक्त उनकी मौत हुई उस वक्त वह सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंचर केस की सुनवाई कर रहे थे। इस केस के मुख्य आरोपी अमित शाह थे।

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