लोकसभा चुनावों के नतीजे भले ही कांग्रेस के पक्ष में ना आए हो। मगर एक हफ्ते के बाद आए इन निकाय चुनावों के नतीजों ने कांग्रेसियों में जान फूंक दी है। कर्नाटक के राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 56 शहरी स्थानीय निकायों में कुल 1,221 वार्डों में से कांग्रेस ने 509 वार्डों में जीत हासिल की जबकि भाजपा को 366 स्थानों पर जीत मिली।

अकेले चुनाव लड़ने वाली जद-एस को 174 वार्डों में जीत मिली। 160 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए जबकि बसपा को तीन, माकपा को दो और अन्य दलों को सात सीटें मिलीं है। सात नगर परिषदों के 217 वार्डों, 30 नगरपालिका परिषदों के 714 वार्डों और 19 नगर पंचायतों के 290 वार्डों के परिणाम घोषित किए गए।

इस जीत ने कांग्रेस को मौका दे दिया है सवाल करने का और अब ये सवाल सिर्फ एक नेता नहीं कर रहा है। अब सवाल आया है एक मुख्यमंत्री की तरफ से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह बघेल ने सोशल मीडिया पर कर्नाटक निकाय चुनावों पर सवाल उठाए।

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उन्होंने पहले तो बधाई देते हुए लिखा- कर्नाटक के नगरीय-निकायों में जीत के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जी, कर्नाटक राज्य कांग्रेस को बहुत-बहुत बधाई। इन परिणामों ने एक ओर जहां ईवीएम के प्रति संदेह पर मुहर लगा दी है, वहीं दूसरी ओर यह भी साबित किया है कि कर्नाटक में कांग्रेस आज भी सबसे लोकप्रिय राजनीतिक दल है।

फिर उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक के स्थानीय चुनावों से यह साबित हो गया है कि कांग्रेस की जमीनी स्तर पर पकड़ बनी हुई है और यदि निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को बहुमत मिलता है। अतः कार्यकर्ताओं से अपील है कि पूरे जोश-खरोश से कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जन-जन की भलाई का काम करना जारी रखिये।

एक मुख्यमंत्री का ये कहना कि यदि निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को बहुमत मिलता। इसका क्या मतलब है की क्या चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं हुए है? क्या लोकसभा चुनाव के  नतीजों को कांग्रेस का अंदरूनी खेमा शक की निगाह देख रहा है। अगर ऐसा है तो उसे ये बात चुनाव आयोग के साथ साथ देश के सामने भी ये बात रखनी चाहिए।

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