नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर लोकसभा में बहस जारी है। बीजेपी इस बिल की वकालत करते हुए इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है, तो विपक्षी दल के नेता इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं।

बता दें की इस नागरिकता संशोधन विधेयक में छह समुदायों- हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। वहीं इस बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में शामिल धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की और लोकसभा में इसका विरोध किया।

विपक्षी नेता मोदी सरकार के इस सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली के कांग्रेस नेता सुभाष चोपड़ा ने ट्वीट कर लिखा- गाँधी जी के सपने तोड़कर जिन्ना के सपनो को साकार कर रही है भाजपा, देश सभी का है, किसी एक धर्म या जाति का नही।

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

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नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है और इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत के सेक्युलर ढ़ांचे को चोट पहुंचेगी। विपक्ष के मुताबिक, इस बिल के ज़रिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये बिल मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है।

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