नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर लोकसभा में बहस जारी है। सरकार इस बिल की वकालत करते हुए इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है, तो विपक्षी दल के नेताओं से लेकर कई समाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार इसे संविधान विरोधी और मुसलमानों के ख़िलाफ़ उठाया गया कदम बता रहे हैं।

पत्रकार साक्षी जोशी ने भी सरकार के इस बिल का विरोध किया है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “पहले आर्टिकल 370 उसके बाद #CitizenshipAmendmentBill2019 से हमने हर उस भारतीय मुसलमान के साथ नाइंसाफी की है जिसने विभाजन के समय इस्लामिक पाकिस्तान की बजाए भारत को चुना था। पाकिस्तान आज उन सब पर हंस रहा होगा”।

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

अभी भारत की नागरिकता के लिए यहां कम से कम 11 सालों तक रहना जरूरी है। लेकिन इस बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता लेने के लिए 6 साल तक ही भारत में रहना होगा। लेकिन इस बिल में मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है और इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत के सेक्युलर ढ़ांचे को चोट पहुंचेगी। विपक्ष के मुताबिक, इस बिल के ज़रिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये बिल मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है।

अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए लोकसभा में कहा कि इस बिल में कहीं भी मुस्लिमों का नाम नहीं है। विपक्ष तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश नहीं करें। नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिल 0.001% भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।

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