केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी है। विपक्ष इस बिल को संविधान विरोधी और धर्म पर आधारित बता रहा है। वहीं सरकार इसपर सफाई देने के बजाए उलटा विपक्ष पर हमलावर है।
अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, “आखिर आज इस बिल की जरूरत क्यों है? आजादी के बाद अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं की होती तो इस बिल की जरूरत ही नहीं पड़ती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बंटने दिया।
अमित शाह ने भले ही ये दावा लोकसभा में ऑन रिकॉर्ड पूरी बेबाकी से कर दिया हो, लेकिन उनका ये दावा तथ्यों की कसौटी पर सही नहीं है। जो भी आज़ादी के इतिहास के बारे में थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं, वह जानते हैं कि ‘टू नेशन थ्योरी’ कांग्रेस की नहीं थी। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का विरोध किया था।
अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश के बंटवारे की पक्षधर होती तो वह मुसलमानों को चुनने का अधिकार नहीं देती। भारत में मुसलमानों की मौजूदगी ही अमित शाह के दावे को पूरी तरह से खारिज करती है। ये बात सभी जानते हैं कि देश का बंटवारा मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा की मांग के आधार पर हुआ था। ऐसे में कांग्रेस को देश के विभाजन के लिए ज़िम्मेदार ठहराना पूरी तरह से ग़लत है।
अमित शाह के इस दावे को कांग्रेस ने सफेद झूठ बताया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर इस देश में दो राष्ट्र की थ्योरी किसी ने दी थी तो वो कांग्रेस ने नहीं बल्कि 1935 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के अधिवेशन में विनायक दामोदर सावरकर ने दी थी।
वहीं मशहूर यूट्यूबर ध्रुव राठी ने ट्वीट कर लिखा, “हमारे गृहमंत्री एक व्हाट्सएप विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट की तरह झूठ बोल रहे हैं। सच यह है कि हिंदू महासभा और जिन्ना ने धार्मिक आधार पर विभाजन का समर्थन किया। लेकिन कांग्रेस विभाजन के खिलाफ थी और पूरी कोशिश की। पाखंड की भी सीमा होती है मोटा भाई”।
Our Home Minister is shouting lies like a WhatsApp University graduate
Reality is that Hindu Mahasabha + Jinnah supported Partition on religious basis. But Congress was against Partition & tried their best.
Hypocrisy ki bhi seema hoti hai mota bhai pic.twitter.com/HQBSDJmWOl
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) December 9, 2019